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अस्पताल में नहीं कैंटीन की सुविधा, रात को चाय-दूध के लिए भटकते रहते मरीज

यदि आप अस्पताल में महिला को प्रसव के लिए या बचे को इलाज के लिए नागरिक अस्पताल लेकर जा रहे हैं तो चाय-दूध की व्यवस्था खुद अपने स्तर पर ही करके चलें।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:00 AM (IST)
अस्पताल में नहीं कैंटीन की सुविधा, रात को चाय-दूध के लिए भटकते रहते मरीज
अस्पताल में नहीं कैंटीन की सुविधा, रात को चाय-दूध के लिए भटकते रहते मरीज

जागरण संवाददाता, जींद : यदि आप अस्पताल में महिला को प्रसव के लिए या बच्चे को इलाज के लिए नागरिक अस्पताल लेकर जा रहे हैं तो चाय-दूध की व्यवस्था खुद अपने स्तर पर ही करके चलें। अस्पताल परिसर में वर्तमान में कोई कैंटीन नहीं होने से मरीज व परिजन चाय-दूध के लिए तरस रहे हैं। अस्पताल परिसर में अन्य कोई कैंटीन की व्यवस्था नहीं की है। जबकि यहां सालों से हर साल ठेके पर कैंटीन देने का प्रावधान है। नागरिक अस्पताल में प्रसव तो होते ही हैं, इसके अलावा बच्चों का वार्ड भी है। जहां दूधमुंहे बच्चे से लेकर 9-10 साल तक के बच्चे भी उपचार के लिए भर्ती होते हैं। इन्हें अस्पताल में उपचार के लिए दवाओं के साथ-साथ दूध-चाय व बिस्किट आदि की भी जरूरत होती है। ऐसे में महिलाओं व बच्चों को तो कैंटीन की जरूरत होती ही है।

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चार साल पहले बनी थी कैंटीन की बिल्डिंग

नागरिक अस्पताल में मरीजों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने अस्पताल परिसर अगस्त 2015 में कैंटीन की बिल्डिग का निर्माण किया था। जहां पर लाखों रुपये की लागत से काम के हिसाब से कैंटीन बनाई थी और मरीजों की सुविधा के लिए कैंटीन के बाहर लंबा-चौड़ा सैड भी बनाया हुआ है। अब यह सैड कैंटीन की बजाए कंडम घोषित हो चुकी एंबुलेंसों को खड़ा करने के काम आ रहा है और संभाल के अभाव में बिल्डिग जर्जर होने लगी है।

मरीजों की सुविधा के साथ अस्पताल की बढ़ेगी आय

कैंटीन के निर्माण के बाद जहां मरीजों को चाय व दूध व खान की सुविधा मिलेगी। उसके बाद अस्पताल की आय भी होगी। कैंटीन तैयार होने के बाद एक बार तो अस्पताल प्रशासन ने कैंटीन का ठेका देने के लिए फाइल चलाई और उसको चालू करने के लिए डीसी कार्यालय को पत्र लिखा। जहां पर डीसी कार्यालय से मंजूरी का पत्र भी मिल गया, लेकिन उसके बाद आगामी प्रक्रिया नहीं की। हालांकि दस साल पहले कैंटीन चलती थी, लेकिन कैंटीन का भवन जर्जर होने के बाद उसके बंद कर दिया था।

रात को नौ बजे के बाद अस्पताल के आसपास खाने नहीं सुविधा

मरीजों को सबसे ज्यादा समस्या रात में हो रही है। इसका कारण रात में मार्केट का बंद हो जाना है। ऐसे में मरीजों या परिजनों के लिए रात को नौ बजे के बाद कोई सुविधा ही नहीं है। कई बार मांग करने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यही कारण है कि अस्पताल में मरीज के तीमारदारों के साथ ही रात में ड्यूटी करने वाला स्टॉफ भी परेशान होता है।

वर्जन

कैंटीन चलाने की गाइड लाइन उपलब्ध नहीं है। गाइड लाइन के लिए मुख्यालय को लिखा गया है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी करके कैंटीन को शुरू किया जाएगा।

-शशि प्रभा अग्रवाल, पीएमओ नागरिक अस्पताल जींद


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