किसान आंदोलन में छोटूराम को सबसे ज्यादा याद किया: बीरेंद्र सिंह
छोटूराम को शुरू में याद करते तो किसी नेता की जरूरत नहीं पड़ती संवाद सूत्र नरवाना पूव
छोटूराम को शुरू में याद करते तो किसी नेता की जरूरत नहीं पड़ती
संवाद सूत्र, नरवाना : पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि चौ. छोटूराम ने कहा था कि उनका जन्मदिन वसंत पंचमी के दिन मनाया जाए, क्योंकि इस दिन किसानों का दिन होता है। किसानों के दशा और हालात वही हैं, फर्क इतना है कि पहले किसान को जानकारी नहीं थी, कि कैसे लड़ाई लड़ी जाये। अब किसान आंदोलन में छोटूराम को याद किया जाने लगा है। अगर शुरू में उनको याद कर लेते, किसी नेता की जरूरत नहीं पड़ती। वह मंगलवार को बसंत पंचमी पर नरवाना के छोटूराम पार्क में दीनबंधु की जयंती पर बोल रहे थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. दिव्य ज्योति सिंह थे और मंच संचालन जगदीश उझाना ने किया।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि 100 साल पहले किसान की आत्मा मर चुकी थी। किसान सोचता था कि परमात्मा ने जन्म तो दे दिया, घुट-घुटकर मरना पड़ेगा, मिलेगा कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि छोटूराम ने कानून नहीं बनाया होता, पाकिस्तान के पंजाब की आधी आबादी भूखी मरती। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में दो महीने में छोटूराम को इतना याद किया है, जितना कि देवी-देवताओं को भी नहीं याद किया। उन्होंने सम्राट अकबर, शहंशाह को कोई याद नहीं करता, क्योंकि उन्होंने इंसानियत के लिए कोई काम नहीं किया। जबकि गुरु रविदास, महर्षि वाल्मीकि को मंदिरों में पूजा जाता है। उन्हें लगता है कि भगत सिंह व छोटूराम को भी उनके कामों के लिए 100 वर्ष बाद मंदिरों में पूजा जाने लगेगा। कार्यक्रम में अनिल शर्मा ने शहीद भगत सिंह पर रागनी गायी, तो छात्रा नियति ने सर छोटूराम के जीवन पर प्रकाश डाला। पावनी मोर ने बेटियां रत्न अनमोल हैं, इननै ना मरवाओ पर हरियाणवी नृत्य किया। संदीप शर्मा ने जमींदारां में जान डाल दी, कर दिया काम तनै, नाड़ ठा के चलण जोगै कर दिये छोटूराम तनै गाकर तालियां बटोरी।