ग्रामीण मजदूरों व श्रमिकों को किसान आंदोलन से जोड़ें: बलबीर सिंह
किसान आंदोलन के 63वें दिन भी बदोवाल टोल प्लाजा पर चल रहा धरना जारी रहा। इस दौरान सरकार के खिलफ नारेबाजी की गई।
संवाद सूत्र, नरवाना : किसान आंदोलन के 63वें दिन भी बदोवाल टोल प्लाजा पर चल रहा धरना जारी रहा। क्रमिक अनशन पर गांव बडनपुर के पूर्व सरपंच जोगिदर सिंह, अनिल बडनपुर, सुरेंद्र दबलैन, रविद्र कालवन तथा मनोज बदोवाल बैैठे। धरने पर गांव कलौदा कलां, कलौदा खुर्द, नैहरा, कर्मगढ़, अमरगढ़, खानपुर, ढाकल, सिसर, सिगवाल आदि गांवों के किसान शामिल हुए। अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य मास्टर बलबीर सिंह ने कहा कि देश में चल रहा किसान आंदोलन ऐतिहासिक है और भाजपा सरकार की तमाम तिकड़म और तानाशाही के हथकंडों का सफलता पूर्वक मुकाबला करते हुए तीन महीने पूरे कर चुका है। हमारे 250 साथी इस संघर्ष के दौरान अपनी जान दे चुके हैं। 100 से ज्यादा आंदोलनकारियों को अलग-अलग स्थानों से उठाकर संगीन अपराध के मुकदमों में जेलों में डाल रखा है। अभी तक कई किसान लापता हैं, सैकड़ों को सम्मन भेजे जा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चे के वकील बिना फीस कानूनी सहायता दे रहे हैं। वर्तमान हालात में किसान आंदोलन का विस्तार करना जरूरी हो गया है। ग्रामीण मजदूरों और श्रमिकों को साथ जोड़ने की जरूरत है। मास्टर चांदीराम ने भी अपने विचार सांझा किए तथा एकजुटता पर जोर दिया।
इस अवसर पर गुड्डी देवी, संतोष, चंद्रपति, इंद्रावती, पिरथी सिंह, सतबीर, चांद बहादुर, सुरजा, सत्यवान, सुनील बदोवाल, सुखबीर आदि मौजूद रहे।
दुष्यंत की गाड़ी निकलने के बाद नारेबाजी
जासं, जींद: बद्दोवाल टोल प्लाजा पर वीरवार रात करीब नौ बजे डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को काले झंडे दिखाने की किसानों की योजना सफल नहीं हो सकी। डिप्टी सीएम की गाड़ी पहले निकल गई। उनके पीछे आ रही पुलिस की गाड़ियों को ही काले झंडे दिखा सके। दरअसल, डिप्टी सीएम चंडीगढ़ से वाया कैथल, नरवाना होकर सिरसा जा रहे थे। जब वह तितरम मोड़ क्रॉस कर गए तो किसानों को इसकी सूचना मिल गई थी। लेकिन नरवाना शहर क्रॉस करने के बाद उनको एस्कॉर्ट कर रही पुलिस की गाड़ियां पीछे रह गईं और डिप्टी सीएम की गाड़ी बिना लाल बत्ती व सायरन बजाए ही टोल से निकल गई। पीछे से जब पुलिस की गाड़ियां आई तो किसान काले झंडे लेकर खड़े हो गए और नारेबाजी करने लगे। लेकिन तब काफिले में सिर्फ पुलिस की गाड़ियां ही थी। हालांकि किसानों ने कई देर तक हाथों में काले झंडे लेकर दुष्यंत चौटाला के खिलाफ नारेबाजी की।