Move to Jagran APP

जितना बढ़ता गया सफाई का ठेका, उतना गंदा होता गया शहर

सफाई पर शहर में आजकल उल्टी रेल चल रही है। सफाई का ठेका तो हर साल बढ़ रहा है लेकिन शहर ज्यादा गंदा हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:46 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 06:46 AM (IST)
जितना बढ़ता गया सफाई का ठेका, उतना गंदा होता गया शहर
जितना बढ़ता गया सफाई का ठेका, उतना गंदा होता गया शहर

जागरण संवाददाता, जींद: सफाई पर शहर में आजकल उल्टी रेल चल रही है। सफाई का ठेका तो हर साल बढ़ रहा है, लेकिन शहर ज्यादा गंदा हो रहा है। जबकि सफाई ठेका बढ़ने पर शहर में सफाई व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होनी चाहिए थी। सफाई पर शहर के हालात देखकर यही लग रहा है कि सफाई ठेके के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है।

loksabha election banner

शहर में वर्ष 2016-17 में सफाई व्यवस्था काफी अच्छी हो गई थी। तब डीसी विनय सिंह की अगुआई में शहर की सामाजिक संस्थाएं और नगरपरिषद के सफाई कर्मचारी हर शनिवार की सुबह तीन घंटे तक सफाई अभियान चलाते थे। हर हफ्ते शहर के अलग-अलग हिस्से में सफाई अभियान चलाने की योजना बनती थी। जहां सफाई अभियान चलता था, उस कॉलोनी के लोग भी सफाई में साथ जुट जाते थे, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं। आम आदमी की भागीदारी भी बंद हो गई है और नगर परिषद भी गंभीर नहीं है।

शहर के गोहाना रोड, बस स्टैंड, पटियाला चौक, बत्तख चौक, भिवानी रोड, देवीलाल चौक, सब्जी मंडी सहित शहर के हर कोने में कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। वर्ष 2016-17 में शहर में सफाई का ठेका 7.45 लाख रुपए प्रतिमाह के हिसाब से छोड़ा गया था। उसके बाद से सफाई ठेका लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2018-19 में 24.48 लाख रुपये प्रति माह सफाई ठेका दिया गया। जबकि पिछले साल करीब 40 लाख रुपये महीना दिया गया था। उस समय दावा किया गया था कि ठेकेदार की ओर से पूरे शहर से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जाएगा। शहर के मुख्य मार्गो की सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी, लेकिन अब भी कई कॉलोनियों में घर-घर से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है। गोहाना रोड को छोड़कर किसी सड़क की सफाई नहीं हो रही है।

-------------------

--स्वच्छ सर्वे के समय टूटती है कुंभकर्णी नींद

केंद्र सरकार की ओर से हर साल स्वच्छता सर्वे करवाया जा रहा है। यह भी मात्र ढकोसला बनकर रह गया है। हर साल रैंकिग का खेल हो रहा है, जबकि शहर में ग्राउंड पर सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए कोई योजना नहीं बनाई जा रही है। सफाई के लिए संसाधनों की कमी है। सफाई ठेकेदार की कोई निगरानी करने वाला नहीं है। सर्वे के समय सभी सड़कों की सफाई की जाती है। पूरे शहर में बैनर लगा दिए जाते हैं, लेकिन स्वच्छ सर्वे पूरा होते ही पूरा प्रशासनिक अमला कुंभकर्णी नींद में सो जाता है। यह नींद तब टूटती है, जब अगले साल स्वच्छता सर्वे शुरू होता है।

-------------------------

--यह भी जानें

जींद शहर में हर रोज करीब 80 लाख टन कूड़ा निकलता है

शहर की आबादी करीब 1.85 लाख है और सफाई कर्मचारी करीब 250 हैं।

नगरपरिषद के 138 पक्के सफाई कर्मचारी हैं और कर्मचारी डीसी रेट पर लगे हैं।

पुराना हांसी रोड पर कूड़ा डंप होता है, लेकिन इसका निस्तारण नहीं हो रहा है।

---------------------------------

- यूं होता है भ्रष्टाचार, बड़े नेताओं को जाती है मंथली

नगरपरिषद के ही एक कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि सफाई ठेका बढ़ाने के पीछे भी भ्रष्टाचार का बड़ा खेल है। ठेकेदार को हर महीने नेताओं व अधिकारियों को मंथली देनी होती है। ऐसे में कुछ ठेकेदार भी कमाएगा। इन हालात में सफाई की उम्मीद करना बेमानी है। जब तक यह भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, तब तक शहर से गंदगी खत्म नहीं होगी। सांसद रमेश कौशिक भी मीटिगों में सफाई व्यवस्था पर सवाल उठा चुके हैं।

------------

--कूड़ा कलेक्शन सेंटर भी बिगाड़ रहे सूरत

शहर में बस स्टैंड के पास, डीसी कैंप ऑफिस के पास, बत्तख चौक के पास कूड़ा कलेक्शन सेंटर बने हुए हैं। सफाई कर्मचारी आसपास की कॉलोनियों का कूड़ा यहां डाल देते हैं। कई दिनों तक यहां से कूड़े की लिफ्टिग नहीं होती है। बेसहारा पशु इस कूड़े में मुंह मारते रहते हैं और हवा में पॉलीथिन इधर-उधर बिखर जाते हैं। इस कारण इन कूड़ा कलेक्शन सेंटरों के पास गंदगी के हालात बने रहते हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात बस स्टैंड के पास, नंदीशाला के साथ नहर के किनारे और सेक्टर-8 में दालमवाला अस्पताल के पास हैं। ---------------------

--स्वीपिग मशीन के नाम पर भी खेल

मुख्य मार्गों की सफाई के लिए मुख्यालय स्तर पर स्वीपिग मशीन किराये पर लेकर नगर परिषद को भेजी गई है। इस मशीन का मासिक किराया करीब 4.70 लाख रुपये है और साढ़े तीन लाख रुपये से ज्यादा का तेल खर्च हो जाता है। शहर में रोहतक रोड, सफीदों रोड समेत ज्यादातर सड़कें पाइप दबाने के लिए उखाड़ी हुई हैं। इसके बावजूद जैसे-तैसे करके ठेकेदार प्रतिदिन स्वीपिग मशीन को 30 किलोमीटर चला रहा है।

----------------------

यूं बढ़ा सफाई ठेका

वर्ष राशि

2016-17 =7.45 लाख प्रतिमाह

2018-19 =24.48 लाख प्रतिमाह

2019-20 =48 लाख प्रतिमाह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.