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बेर सी मीठी ‘बेर वाले अंकल’ की सफलता, 16 एकड़ खेत से सालाना 45 लाख की कमाई

पारंपरिक कृषि के मुकाबले अब सतबीर कई गुना अधिक अर्जित कर रहे हैं। सालाना कमाई 45 लाख रुपये तक पहुंच गई है। अब तो करीब 20 लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 12:20 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 01:26 PM (IST)
बेर सी मीठी ‘बेर वाले अंकल’ की सफलता, 16 एकड़ खेत से सालाना 45 लाख की कमाई
बेर सी मीठी ‘बेर वाले अंकल’ की सफलता, 16 एकड़ खेत से सालाना 45 लाख की कमाई

जींद [बिजेंद्र मलिक]। गांव अहिरका निवासी किसान सतबीर पूनिया को अब लोग बेर वाले अंकल के तौर पर पहचानते हैं। पानी की किल्लत से जूझ रहे जींद जिले के इस इलाके में अतिरिक्त आय के लिए उन्होंने जो उपाय किया, वह क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन गया है। अपनी सूझबूझ से उन्होंने उपलब्ध पानी का बेहतर इस्तेमाल करते हुए बागवानी में हाथ आजमाए। पारंपरिक कृषि के मुकाबले अब सतबीर कई गुना अधिक अर्जित कर रहे हैं। सालाना कमाई 45 लाख रुपये तक पहुंच गई है। अब तो करीब 20 लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।

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57 साल के सतबीर के पास 16 एकड़ जमीन है। पारंपरिक कृषि करते आए थे, लेकिन पानी की कमी, लागत अधिक और मुनाफा मनमाफिक न होने के कारण उन्होंने खेती करना छोड़ दिया। अपने खेत ठेके पर देने लगे और आजीविका के लिए खुद दूसरा व्यवसाय करते। लेकिन जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहते सुना कि फलों और बागवानी इत्यादि के जरिये कृषि के वैकल्पिक उपायों को आजमा कर किसान समृद्धि की राह पकड़ सकते हैं तो कृषि जागरूकता कार्यक्रमों में उन्होंने इस बारे में विस्तार से जाना।

लोग कहते, क्या झाड़-झंखाड़ लगा दिए

सतबीर बताते हैं, अप्रैल 2017 में पांच एकड़ में थाई एप्पल प्रजाति के बेर, आठ एकड़ में उन्नत किस्म के अमरूद और दो एकड़ में नींबू लगाए। फसल अच्छी आई और बाजार भी अच्छा मिल गया। उन्होंने बताया कि जब बेर का बाग लगाना शुरू किया, तब परिवार और आसपास के लोग कहते कि खेत में यह क्या झाड़-झंखाड़ लगा दिए, इससे क्या होगा। लेकिन आज आसपास के गांवों के किसान भी मेरे बाग को देखने के लिए आते हैं..। बागवानी के क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के लिए बीते साल हरियाणा के कृषि मंत्री उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।

ऐसे किया पानी का इंतजाम

जींद में भूमिगत पानी की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। इससे निपटने के लिए सतबीर ने नहर के पानी को स्टोर करने के लिए 21 लाख लीटर पानी क्षमता का टैंक बनाया। सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम से पूरे खेत में सिंचाई करते हैं।

केवल मंडी पर नहीं निर्भर

सतबीर फल बेचने के लिए केवल मंडी पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने शहर में खुद भी पांच-छह जगह स्टाल लगाए हैं। आमतौर पर बेर 15 मार्च के आसपास बाजारों में आता है, मगर थाई एप्पल बेर का उत्पादन जनवरी में ही शुरू हो जाता है। प्रतिस्पर्धा न होने के कारण 50 रुपये किलो तक दाम मिल रहे हैं।

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