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बड़ी संख्या में गढ़ जीतने चंडीगढ़ गए आंदोलनकारी किसान

बद्दोवाल टोल धरने के 185वें दिन हालांकि टोल फ्री कार्यक्रम जारी रहा लेकिन सुबह भारी संख्या में प्रत्येक गांव से अपने साधन लेकर गढ़ जीतने के लिए महिला-पुरुष किसान चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Jun 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jun 2021 09:31 AM (IST)
बड़ी संख्या में गढ़ जीतने चंडीगढ़ गए आंदोलनकारी किसान
बड़ी संख्या में गढ़ जीतने चंडीगढ़ गए आंदोलनकारी किसान

संवाद सूत्र, नरवाना : बद्दोवाल टोल धरने के 185वें दिन हालांकि टोल फ्री कार्यक्रम जारी रहा, लेकिन सुबह भारी संख्या में प्रत्येक गांव से अपने साधन लेकर गढ़ जीतने के लिए महिला-पुरूष किसान चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए।

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किसान सभा के जिला सचिव चांद बहादुर ने बताया कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के 7 महीने पूरे होने और 1975 में भारत में आपातकाल की घोषणा के 46 साल बाद पूरे भारत में शनिवार को खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में मनाया गया। लाखों किसानों ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। उन्होंने बताया कि रविवार को 20वीं सदी के भारत के एक प्रसिद्ध किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाएंगे।

स्वामी सहजानंद जिन्होंने उन दिनों जमीदारी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और किसान-मजदूर एकता को मजबूत किया। उन्होंने कहा कि आंदोलन को मजबूत करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर किसान लामबंद हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करके रहेंगे, क्योंकि यह आंदोलन जन आंदोलन का रूप ले चुका है और जन जन की यह भागीदारी इस हठीली सरकार का अहंकार तोड़ कर ही दम लेगी।

विपक्ष नहीं चाहता सरकार और किसानों के बीच हो समझौता: रंधावा

जागरण संवाददाता, जींद: जजपा के जिला प्रेस प्रवक्ता कुलदीप रंधावा ने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि नए कृषि कानूनों के मसले पर चल रहे आंदोलन में सरकार और किसानों के बीच समझौता हो। किसानों की मौत पर भी विपक्ष राजनीति करने से नहीं चूक रहा। विपक्ष अपनी राजनीति चमकाने के लिए किसानों का नुकसान कर रहा है। उसे किसानों से ज्यादा चिता अपनी राजनीति की है।

कुलदीप रंधावा ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला कृषि कानूनों के मसले पर किसान संगठनों से बातचीत कर विवाद का समाधान निकालने के पक्ष में हैं, लेकिन विपक्षी दलों के लोग कृषि कानूनों की आड़ में किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही इस विवाद का समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है। यह लोग समाधान में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। अब किसान आंदोलन किसानों का आंदोलन नहीं रहकर कुछ विरोधी दलों के नेताओं और उन दलों की टिकट हासिल करने के लिए लाइन में लगे लोगों का आंदोलन बनकर रह गया है।


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