प्रशासन और लोग लापरवाह, शादी की खुशियों में कोरोना को भूले लोग
हिदू धर्म में सबसे शुभ माने जानी वाली देवोत्थान एकादशी (देवउठनी ग्यास) के मौके पर जिले में करीब 3 हजार जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। शादी की खुशियों में लोग कोरोना महामारी को भूल बैठे और कुछ जगहों को छोड़ बाकी किसी भी जगह कोरोना संक्रमण से बचने को लेकर सजगता नहीं दिखी।
जागरण संवाददाता, जींद : हिदू धर्म में सबसे शुभ माने जानी वाली देवोत्थान एकादशी (देवउठनी ग्यास) के मौके पर जिले में करीब 3 हजार जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। शादी की खुशियों में लोग कोरोना महामारी को भूल बैठे और कुछ जगहों को छोड़ बाकी किसी भी जगह कोरोना संक्रमण से बचने को लेकर सजगता नहीं दिखी। इससे प्रशासन की तो लापरवाही सामने आई ही, लोगों की बेपरवाही भी सामने आई। जिले में शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना अपने पांव पसार चुका है, लेकिन शादी-समारोह के मौके पर लोगों में इसे लेकर कहीं पर भी सावधानी नजर नहीं आई। इन हालात में जिले में कोरोना बम फूटने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
जींद शहर में 30 से ज्यादा बड़े होटल, 35 से ज्यादा धर्मशाला और बैंकेट हॉल हैं। कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया था तो मार्च से अगस्त महीने तक होने वाली ज्यादातर शादियों को स्थगित कर दिया गया था। एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा के बाद उठते हैं। इसी कारण इसे देव उठनी ग्यास कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं। फिर देवउठनी ग्यास पर भगवान के जागने के बाद शादी-विवाह जैसे तमाम मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। देवउठनी ग्यास को शादी को लेकर बड़ा मुहूर्त माना जाता है। कोरोना के कारण जितनी भी शादियां स्थगित हुई थी, वह सभी अब देवउठनी ग्यास पर हुई।
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कहीं भी कोविड नियमों का नहीं हुआ पालन
देवउठनी ग्यास के मुहूर्त पर जिले भर में जहां 3 हजार से ज्यादा शादियां हैं तो जींद शहर में भी करीब 2 हजार जोड़े परिणय सूत्र में बंधें। शहर में सभी होटल, धर्मशाला फुल थे लेकिन एकाध को छोड़ बाकी किसी भी होटल में कोविड नियमों का पालन होते नहीं दिखा। विवाह कार्यक्रमों में लोग कोरोना को भूल यूं ही भीड़ बढ़ाए हुए थे।
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अब ये हैं शादी के शुभ मुहूर्त
29 नवंबर, 30 नवंबर, 6 दिसंबर, 7 दिसंबर, 9 दिसंबर, 10 दिसंबर