दूसरों के बजाय खुद को सुधारें : आचार्य पवन शर्मा
सुंदर वही जिसका जीवन सुंदर। जिसकी बातें तो सुंदर हैं लेकिन जीवन कलुषित है। वह तो मल से भरे हुए चमकीले घड़े की भांति है। इसलिए प्रतिक्षण अपने को देखते रहें। स्वयं का निरीक्षण करते ही रहें। स्वयं में जरा भी दोष दिखे तो उसे निकालने की कोशिश करते रहें।
जागरण संवाददाता, जींद : सुंदर वही जिसका जीवन सुंदर। जिसकी बातें तो सुंदर हैं, लेकिन जीवन कलुषित है। वह तो मल से भरे हुए चमकीले घड़े की भांति है। इसलिए प्रतिक्षण अपने को देखते रहें। स्वयं का निरीक्षण करते ही रहें। स्वयं में जरा भी दोष दिखे, तो उसे निकालने की कोशिश करते रहें। यह विचार आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में आयोजित सत्संग और भंडारे में कहे।
आचार्य ने कहा कि दूसरों को सुधारने के पचड़े में मत पड़ें, स्वयं को सुधारें। यदि आप सुधर गए तो मान लेना जगत का एक अंग स्वत: ही सुधर गया। दूसरों को सीख मत दें सीख देना ही है तो स्वयं को दे। जो स्वयं नहीं सीखते और औरों को सीख देने में लगे रहते हैं, वे स्वयं को धोखा देते हैं। दूसरों से आप वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप उनसे चाहते हैं। दूसरों से सुख चाहते हैं तो सुख दें, प्रेम चाहते हो तो प्रेम दें, हित चाहते हों तो सबके हित की बात सोचें, सम्मान चाहते हैं तो सम्मान दें। सही जीवन जीने का यही तरीका है। जवाहर परबंदा, डॉ. नवीन मल्होत्रा, डॉ. अश्विनी मिढ़ा, डॉ. संजय मिढ़ा, डॉ. नरेश शर्मा, श्याम छाबड़ा, राजबीर तंवर, अशोक गुलाटी, सुरेश बंसल, राजकुमार डंग, महेश मिगलानी, अनिल मंगला, हरिश गिरधर, विनोद खन्ना, अनिल नागपाल, मुनीष अरोड़ा, हरबंस मंगला, कृष्ण नागपाल, सुभाष अरोड़ा, रोशन लाल गोयल आदि इस मौके पर मौजूद रहे।