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15 अगस्त 1947 नहीं, 5 मार्च 1948 को आजाद हुआ था जींद

कर्मपाल गिल जींद अंग्रेजी शासन से भारत देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन जींद स्टे

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:30 AM (IST)
15 अगस्त 1947 नहीं, 5 मार्च 1948 को आजाद हुआ था जींद
15 अगस्त 1947 नहीं, 5 मार्च 1948 को आजाद हुआ था जींद

कर्मपाल गिल, जींद :

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अंग्रेजी शासन से भारत देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन जींद स्टेट राजा के अधीन ही रहा। जींद रियासत में तिरंगा फहराने के लिए यहां के लोगों को लंबा संघर्ष करना पड़ा। भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के सबसे कम उम्र 36 साल के सदस्य चौधरी निहाल सिंह तक्षक की अगुआई में चले आंदोलन के बाद 5 मार्च 1948 को जींद रियासत भारतीय यूनियन का हिस्सा बनी थी और तिरंगा फहराया गया था।

जींद स्टेट के जिला चरखी दादरी के गांव भागवी में 1911 में जन्मे चौ. निहाल सिंह तक्षक क्रांतिकारी नेता थे। वर्ष 1937 में पहली बार जींद रियासत में एमएल चुने गए। रियासत में राजा रणबीर सिंह के बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ निहाल सिंह ने जींद रियासत प्रजा मंडल का गठन किया और संस्थापक प्रधान बने। वर्ष 1942 में फिर जींद रियासत में एमएल बने। रियासत के गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को प्रजा मंडल से जोड़ा। देशभर में लोग अंग्रेजी शासन के विरुद्ध महात्मा गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे थे, उसी तरह चौ. निहाल सिंह की अगुआई में लोग प्रजामंडल के साथ जुड़कर राजा की उत्पीड़नकारी नीतियों का विरोध कर रहे थे। प्रजामंडल के बढ़ते प्रभाव को देखकर राजा ने दमन चक्र बढ़ा दिया था और धारा-144 लगाकर प्रजा मंडल के जलसों पर पाबंदी लगा दी थी। लोगों की नंबरदारी छीन ली गई। 9-10 नवंबर 1946 को दादरी में स्टेट प्रजामंडल के अधिवेशन में तीस हजार लोग शामिल हुए, जिसमें राजा के खिलाफ कई प्रस्ताव पास हुए। प्रजामंडल के बढ़ते प्रभाव से घबराकर राजा ने मंत्रिपरिषद का गठन करके एक जनवरी 1947 को चौ. निहाल सिंह को मंत्री पद की शपथ दिलाई। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, लेकिन जींद रियासत राजा के अधीन ही रही। राजा ने चौ. निहाल सिंह को बुलाकर रियासत के मुख्यमंत्री का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद निहाल सिंह ने अपनी पूरी ताकत जींद रियासत को भारतीय संघ में मिलाने के लिए झोंक दी। किले व थाने घेर लिए, तब राजा झुका

जींद रियासत प्रजा मंडल ने दादरी को जींद रियासत से अलग करने व जींद को भारतीय संघ का हिस्सा बनाने के लिए फरवरी 1948 में बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया। चौ. निहाल सिंह तक्षक की अगुआई में दादरी में जुलूस निकाला गया, जिसमें करीब दस हजार लोग शामिल हुए। जुलूस के बाद राजा ने चौ. निहाल सिंह को 21 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया। तब वह संविधान निर्मात्री सभा के सबसे छोटे सदस्य थे। 24 फरवरी को रामराय के चौ. दल सिंह को गिरफ्तार कर लिया। 25 फरवरी को प्रजामंडल के बड़े नेताओं के आह्वान पर 30 हजार लोगों ने समानांतर सरकार बनाकर चौ. महताब सिंह को राजा घोषित कर दिया। किले में सरकारी नाजिम व अधिकारियों के लिए खाने-पीने की सामग्री के लिए कुछ नहीं जाने दिया। थाना बाढ़ड़ा को भी घेर लिया। हालात को नियंत्रण से बाहर होता देख राजा रणबीर सिंह ने गृह मंत्री सरदार पटेल से बातचीत की। इसके बाद 5 मार्च 1948 को चौ. निहाल सिंह समेत अन्य नेताओं को जेल से रिहा कर दिया और जींद रियासत को खत्म करके भारतीय संघ में मिला दिया। तब जींद के साथ पटियाला, नाभा, मलेरकोटला, कपूरथला, नालागढ़ और फरीदकोट रियासतों को मिलाकर पेप्सू का गठन किया था। चौ. निहाल सिंह पेप्सू के पहले शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। ------------------

ग्रामीण इलाकों में खोले बिरला ट्रस्ट के 311 स्कूल

किसान घर में जन्म लेने के बावजूद चौ. निहाल सिंह ने दिल्ली के रामजस कालेज से 1936 में ग्रेजुएशन की और यूनिवर्सिटी में दूसरा स्थान हासिल किया। 1935 में वह कालेज पार्लियामेंट के प्राइम मिनिस्टर चुने गए थे। सितंबर 1936 में जींद स्टेट इंफ्रेंट्री में लेफ्टिनेंट और तहसीलदार चुने गए, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। चौ. निहाल सिंह के मन में कसक थी कि गांव के गरीब किसान, मजदूर के बच्चों को शिक्षित किया जाए, इसलिए वह 1936 में बिरला एजुकेशन ट्रस्ट में इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल बन गए और दस साल तक इस पद पर काम किया। इस दौरान घनश्याम दास बिड़ला के सहयोग से जींद, लोहारू, दादरी, महेंद्रगढ़ के गांवों में 311 स्कूल खोले, जिनमें 250 प्राइमरी, 44 मिडिल और 17 हाई स्कूल थे। देश आजाद होने के बाद ये स्कूल सरकार ने अडॉप्ट कर लिए थे।

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फोटो: 12

तक्षक साहब को याद न करना दुर्भाग्य

चौ. निहाल सिंह तक्षक बड़े नेता थे। उन्होंने जींद रियासत को आजाद करवाने के लिए तो संघर्ष किया ही। इस इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों में बिरला ट्रस्ट के स्कूल भी खुलवाए। वह पेप्सू के पहले शिक्षा मंत्री और संविधान निर्मात्री सभा के सबसे छोटी उम्र के सदस्य थे। बावजूद इसके उन्हें याद नहीं किया जा रहा। कहीं उनके बारे में प्रश्न नहीं पूछा गया। एसएससी की इंटरव्यू कमेटी के सदस्य होने के नाते उन्होंने दादरी के ही एक युवक से उनके बारे में सवाल पूछा था, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।

-जयवंती श्योकंद, रिटायर्ड आईएएस।


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