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परिवार से मिलने के लिए उत्साहित दिखें प्रवासी कामगार

झज्जर । लॉकडाउन की समय सीमा समाप्त होने से पहले उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 10:57 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 06:15 AM (IST)
परिवार से मिलने के लिए उत्साहित दिखें प्रवासी कामगार
परिवार से मिलने के लिए उत्साहित दिखें प्रवासी कामगार

अमित पोपली, झज्जर :

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लॉकडाउन की समय सीमा समाप्त होने से पहले उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से जुड़े प्रवासियों को घर वापस भेजने का समाचार खास तौर पर उन सभी के लिए सुखद अहसास लेकर आया है, जिनके लिए पहले रूट की बसें शनिवार को जिला मुख्यालय से निकाली गई हैं। परिवार से मिलने को आतुर और बड़े भावुक दिखे इन प्रवासियों की जब हाथ उठवाकर गिनती की जा रही थी तो उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए। बस में सवार बदायूं निवासी रामबीर ने बताया कि योगी जैसा संत देश को नहीं मिल सकता। पिता के अंतिम संस्कार के समय पर भी वे उनके अंतिम दर्शनों के लिए नहीं गए। वे अपने प्रदेश की जनता की सेवा कर रहे हैं। मौजूदा समय में भी सबसे पहले उत्तर प्रदेश से कामगारों को बुलाया जा रहा है। बदायूं से ही मंगलीराम ने बताया कि यहां पर भी इंतजाम काफी बढि़या थे। खाने-पीने की पूरी व्यवस्था थी। लेकिन, जब घर वापस जाने का मौका मिल रहा था यहां पर कैसे रूक जाए। परिवार के साथ बस में सवार लोगों के चेहरे पर आज अलग ही मुस्कान दिखीं। दरअसल, शुरू की गई इस व्यवस्था को सिरे चढ़ाने के लिए एसडीएम शिखा की निगरानी में विभिन्न शेल्टर होम में प्रवासियों की स्क्रीनिग करवाई गई। जिला के हिसाब से अलग-अलग बसों में उन्हें बस स्टैंड तक लाया। फिर, बसों को गंतव्य के लिए रवाना किया गया।

मानो 14 वर्ष का पूरा हुआ वनवास : जिला झज्जर के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रवासियों के अलावा यहां अन्य जिलों से भी आकर ठहरे हुए प्रवासियों को घर भेजने की व्यवस्था रोडवेज की बसों में की गई हैं। बसों को सैनिटाइज करने के बाद ले जाए जा रहे प्रवासियों की स्क्रीनिग की गई। मास्क एवं सैनिटाइजर मुहैया कराने के अलावा बसों में रास्ते के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था भी की गई। ताकि, बीच रास्ते में ज्यादा परेशानी नहीं हो। इधर, बसों में सवार यात्री मुरादाबाद के मुकेश, सुबेर तथा रामपुर के बिजेंद्र, गोपीचंद तथा संजय ने बताया कि बेशक ही वे करीब एक माह तक शेल्टर होम में यहां पर ठहरे हैं। लेकिन, लग ऐसा रहा है कि मानो कि 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद गांव वापिस लौट रहे हैं। परिवार के लोगों को फोन पर सूचना दे दी हैं। वे सभी बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। विभिन्न जिलों की बसों से आए यात्री : प्रशासनिक स्तर पर बनाए गए समन्वय का असर इस तरह भी दिखा कि दादरी और हिसार क्षेत्र से प्रवासियों को पहले झज्जर तक लोकल बसों में लाया गया। फिर यहां से वे सभी तय रूट की बसों में सवार हो गए। ताकि, अलग-अलग रूट की सवारी के हिसाब से गंतव्य तक पहुंचने में किसी को परेशानी नहीं हो।


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