..जब भी छुट्टी आते तो दोनों बेटों को करवाते थे फिजिकल की तैयारी
- दोनों बेटों ने ठानी फौज में जाकर देश सेवा करने की
- दोनों बेटों ने ठानी फौज में जाकर देश सेवा करने की संवाद सूत्र, साल्हावास : जब भी शहीद रविंद्र कुमार जाखड़ छुट्टी पर अपने घर आते तो दोनों बेटों को फिजिकल की तैयारी करवाते थे। वे औसतन डेढ़-दो घंटे तक दोनों बेटों का अभ्यास करवाते। वे अपने बच्चों को भी आर्मी में ही शामिल होता देखना चाहते थे। साथ ही दोनों बेटों को उनकी इच्छा अनुसार आगे का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित भी करते थे। दोनों को पूरी लग्न के साथ तैयार करने के लिए प्रेरणा देते थे। ताकि वे अपनी मेहनत के बल पर सफलता हासिल कर सके। इसलिए जैसे ही वे आर्मी से छुट्टी आते तो दोनों बेटों को अभ्यास करवाने में जुट जाते, साथ ही खुद भी अभ्यास करते रहते थे।
बॉक्स : शहीद रविद्र कुमार जाखड़ के छोटे बेटे कार्तिक बारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं। पिता जब भी छुट्टी पर घर आते तो दोनों भाइयों को फिजिकल की तैयारी करवाते थे। अपने पिता से ही कड़ा अभ्यास करना सीखा है। कार्तिक ने कहा कि उनके पिता दोनों बेटों को आर्मी में भेजना चाहते थे। वे अपने पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और आर्मी में भर्ती होंगे। यहीं उनके पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वे आर्मी में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत के बल पर सफलता हासिल करेंगे। उनके पिता की सीख पर चलते हुए उन्हें सफलता जरूर मिलेगी। कार्तिक ने कहा कि वे सड़क हादसे में घायल होने के कारण ठीक से कंधा भी नहीं दे पाए। लेकिन घायल अवस्था में भी अंतिम संस्कार से पहले पार्थिव शरीर को कंधा जरूर दिया। आइ लव यू पापा, बोले बड़ा बेटा
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बड़े बेटे नितिन ने कहा कि उनके पिता ने देश के जान दी है। उन पर गर्व है। देश को भी उन पर गर्व होना चाहिए। पिता को आइ लव यू कहते हुए उन्हें याद किया। नितिन का रूड़की में मेडिकल चल रहा था, इसी दौरान ताऊ ने फोन करके बुलाया, लेकिन पिता शहीद होने की बात नहीं बताई। हालांकि सुबह पिता शहीद होने की बात को पता चला। एक बार तो इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब समाचार देखा तो पता चला। इसके बाद मम्मी को संभाला। पिता शहीद होने के बाद मेडिकल स्थगित करवाना पड़ा। अब बाद में आगे की कार्रवाई करूंगा।