वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह का उद्घोष करते हुए गुरु गोबिद को किया नमन
- साध संगत ने पूजा अर्चना के बाद बांटा प्रसाद
जागरण संवाददाता, झज्जर : गुरु गोबिद सिंह जी सिख समुदाय के दसवें धर्म गुरु हैं। गुरु जी ने मानवता की रक्षा के अपना सर्वोच्च न्यौछावर कर दिया था, वे त्याग और बलिदान के सच्चे प्रतीक है। समाज में धर्म और सत्य की स्थापना के लिए गुरु गोबिद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह निष्काम सेवा समिति द्वारा संचालित पंचायती गुरुद्वारा के पाठी साजन सिंह व प्रबंधक विनीत पोपली ने अपनी बात रखते हुए कही।
पाठी साजन सिंह ने कहा कि गुरु गोबिद सिंह ने सिख धर्म के मानने वालों के लिए कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं। गुरु गोविद सिंह ने हमेशा यह उपदेश दिया कि भगवान तक पहुंचने के लिए प्रेम ही एक माध्यम है। गुरु गोबिद सिंह जी ने सिखों के लिए पांच ककार के लिए केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा अनिवार्य का मंत्र दिया था। गुरु गोबिद सिंह जी ने ही गुरु परंपरा को खत्म करते हुए सभी सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने का आदेश दिया। जिसके बाद से गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के मार्गदर्शक हैं। गुरु गोबिद सिंह जी ने ही खालसा वाणी वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह' का उद्घोष किया था। जिसका बड़े भाव के साथ उद्घोष किया जाता है। समिति के प्रधान एवं पूर्व चेयरमेन ईश्वर शर्मा ने कहा कि 'सवा लाख से एक लड़ावां तां गोविद सिंह नाम धरावां' का उद्घोष करने वाले गुरु गोबिद सिंह जी ने ही सिखों को “पंज प्यारे' और “पंच ककार' दिए। इधर, पंचायती गुरुद्वारा सहित जिला के ग्रामीण अंचल में स्थित गुरुद्वारों में शब्द, कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन हुआ।