कैंसर को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रहे कदम, इन देशों के वैज्ञानिक यहां कर रहे शोध
एनसीआइ में यूएसए, ब्रिटेन और फ्रांस की नेशनल कैंसर संस्थाओं सहित जैव सूचना विज्ञान, आणविक चिकित्सा पृष्ठभूमि से जुड़े वैज्ञानिक शोध करेंगे।
झज्जर [अमित पोपली]। बाढ़सा स्थित कैंसर अस्पताल-नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआइ) में यूएसए, ब्रिटेन और फ्रांस की नेशनल कैंसर संस्थाओं सहित जैव सूचना विज्ञान, आणविक चिकित्सा पृष्ठभूमि से जुड़े वैज्ञानिक शोध करेंगे। जून-जुलाई 2019 से यहां शोध कार्य शुरू होंगे। आने वाले 15 वर्षों में कैंसर को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रहे कदम से भारत सहित विश्वभर में कैंसर रोगियों की मौत के आंकड़ों पर नियंत्रण करना शोध का मुख्य उद्देश्य है।
इस शोध कार्य के लिए एनसीआइ में विश्वस्तरीय 17 लैब स्थापित की जा चुकी हैं। प्रोजेक्ट शुरू होने पर संस्थान में शोधार्थियों के लिए रोजगार के द्वार भी खुलेंगे। उम्मीद है कि करीब 3500 अतिरिक्त लोगों को नौकरी मिलेगी। बहरहाल, ट्रायल के आधार पर शुरू हुई ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। 14 जनवरी से मरीजों को यहां बेड भी उपलब्ध होने लग जाएंगे।
विश्वस्तरीय वैज्ञानिक और संस्थाएं करेंगी एक साथ काम
30 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कैंसर के बचाव और उपचार की दिशा में साझा कार्यक्रम चलाकर कदम बढ़ाने की बात कही थी। इसके बाद अमेरिका की तीन प्रतिष्ठित स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली संस्थाओं के साथ शोध कार्य में सहयोग के लिए करार किया जा चुका है।
ताजा करार 8 अक्टूबर 2018 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, यूएसए से हुआ है। 23 जून 2017 को ओहियो यूनिवर्सिटी, यूएसए तथा 25 जून 2015 को नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, यूएसए के साथ काम करने की सहमति बन चुकी है। इसके अतिरिक्त क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन तथा ला फाउंडेशन द आइ, एकेडमिक्स मेडिसिन, फ्रांस के वैज्ञानिकों के साथ भी कैंसर को जड़मूल से समाप्त करने के लिए शोध कार्य किया जाएगा।
कैंसर से बचाव और उपचार संभव
इसे शोध का ही सकारात्मक परिणाम कहा जा सकता है कि संक्रमण के कारण बेटियों और महिलाओं में होने वाले कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन को ईजाद किया जा चुका है। 9 से 14 तक की आयु इस वैक्सीनेशन के लिए आदर्श रहती है, लेकिन 26 वर्ष की आयु तक वैक्सीनेशन कराया जा सकता है। विशेषज्ञों की राय में हम घर में तो यूरिन से होने वाले संक्रमण से खुद को बचाते हैं, लेकिन बाहर नहीं बचा जा सकता।
ऐसे में एचपीवी वेक्सीनेशन कराकर करीब 20 फीसद तक मरीजों को कैंसर होने से बचाया जा सकता है। हालांकि, अभी तक महिलाओं में स्तन कैंसर के होने का मूल कारण सामने नहीं आ पाया है। शोध में इस विषय पर प्राथमिकता से कार्य किया जाएगा। इधर, स्तन कैंसर में भी आखिरी स्टेज में आने वाले मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। शुरुआती दौर में इलाज हो जाने पर पूरी तरह से इस रोग से मुक्ति संभव है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के प्रमुख प्रो. जीके रथ का कहना है कि हमारा लक्ष्य है कि प्रति वर्ष बाढ़सा में कम से कम 5 लाख लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएं। 15 वर्ष में भारत से कैंसर समाप्त करने के साथ-साथ जागरूकता के माध्यम से भी लोग इस बीमारी की चपेट में आने से बचें, इस पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है।
शोध कार्य के सहयोगी
कब हुआ करार संस्था
8 अक्टूबर 2018 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, यूएसए
23 जून 2017 ओहियो यूनिवर्सिटी, यूएसए
24 मार्च 2017 ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुष, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष
21 जनवरी 2017 क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, यूनाइटेड किंगडम
18 नवंबर 2016 लॉ फाउंडेशन दी आइ, एकेडमिक्स मेडिसिन, फ्रांस
25 जून 2015 नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, यूएसए