श्रद्धा भाव से संपन्न हुआ भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह
बुधवार को देव प्रबोधिनी एकादशी के मौके पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु कई माह की योग निंद्रा से जागते हैं।
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जागरण संवाददाता, झज्जर : बुधवार को देव प्रबोधिनी एकादशी के मौके पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु कई माह की योग निद्रा से जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु का शालिग्राम के रूप में तुलसी के साथ विवाह करवाने की भी परंपरा है। धर्म ग्रंथों के जानकार पं. वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने के बाद शंख और घंटानाद सहित मंत्र बोलते हुए भगवान विष्णु को जगाया गया। फिर उनकी पूजा की गई। शाम को घरों और मंदिरों में दीये जलाए गए। जबकि, गोधूलि वेला यानी सूर्यास्त के समय भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह करवाया बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ हुआ। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण बड़े आयोजन नहीं हुए। लोगों ने अपने घर में सुबह से पूजा अर्चना शुरु करते हुए सूर्यास्त के बाद तक नियमों का पालन किया। जबकि, मंदिरों में भी दिवस विशेष के मद्देनजर खास तैयारियां देखने को मिली। बॉक्स : कोरोना काल के इस दौर में देवउठनी एकादशी के मौके पर परंपराओं का खूब बढि़या ढंग से निर्वाह हुआ। पं. गुलशन शर्मा ने बताया कि भगवान शालिग्राम के साथ तुलसीजी का विवाह होता है। जिसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक अपनी भक्त के साथ छल किया था। इसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था, लेकिन लक्ष्मी माता की विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थीं। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालिग्राम के विवाह का चलन शुरू हुआ।