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बेटी के जन्म दिन से की पौधारोपण की शुरूआत, अब तक लगाएं ढाई हजार पौधें

तपस्वी शर्मा, झज्जर : प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म दिवस पर पार्टी के नाम पर कुछ रूपये खर्च करता है,

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 11:40 PM (IST)
बेटी के जन्म दिन से की पौधारोपण की शुरूआत, अब तक लगाएं ढाई हजार पौधें
बेटी के जन्म दिन से की पौधारोपण की शुरूआत, अब तक लगाएं ढाई हजार पौधें

तपस्वी शर्मा, झज्जर : प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म दिवस पर पार्टी के नाम पर कुछ रूपये खर्च करता है, लेकिन हम कुछ ही दिनों में इसे भूल जाते है। यदि हम अपने और अपने परिजनों के जन्म दिन पर कोई पौधारोपण करें तो यह दीर्घकाल तक याद भी रहेगा और समाज को इसका लाभ भी होगा। बस इसी सोच के साथ वर्ष 2018 में अपनी बेटी हिमांशी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में नीलम दलाल ने अतिथियों को तुलसी के पौधे भेंट किए और गांव को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया। शुरूआत अपने घर से की और बाद में गांव में पार्को और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण किया। पति और ससुराल के अन्य लोगों का सहयोग मिला तो इसे मिशन बना लिया। गांव रिवाड़ी खेड़ा निवासी नीलम दलाल गांव में ही बतौर आशावर्कर कार्यरत है और एक वर्ष के भीतर करीब 25 सौ पौधें लगा चुकी है। ड्यूटी पर होने के बावजूद भी शेड्यल के मुताबिक पौधों की देखभाल भी करती है। बकौल नीलम पौधों की सेवा करने में अंदरूनी खुशी महसूस होती है। क्यूंकि अपने लिए तो सभी लोग कार्य करते है। लेकिन समाज और देश के लिए भी कार्य करना सभी नागरिकों का कर्तव्य बनता है। ---गांव में पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, हमें भी इसे भविष्य की पीढि़यों के लिए बचाए रखना है। यह तभी संभव है जब हम आज से ही इस काम में जुट जाए। ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे है। अगर जल्द ही हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं होते है तो आने वाले समय में बहुत बड़ा संकट पैदा हो सकता है। इसलिए पौधारोपण की शुरूआत अपने घर और गांव से की है। बकौल नीलम दलाल पहले चरण में अपने गांव में पांच हजार पौधे रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब डेढ़ वर्ष में ढाई हजार पौधे रोपित किए है। अपने गांव को हरा-भरा करने के बाद आसपास क्षेत्र में भी पौधारोपण अभियान चलाने की योजना है। जिसके लिए प्ला¨नग की जा रही है। उनका प्रयास है कि अधिक से अधिक संख्या में युवाओं और ग्रामीण महिलाओं को साथ जोड़ते हुए इस दिशा में कार्य किया जाए। ----सप्ताह में एक बार पौधों की देखभाल करने के लिए बना रखा है शेड्यूल अक्सर लोग पौधारोपण करने के बाद भूल जाते है। लेकिन पौधों की देखभाल भी बच्चों की तरह ही करनी पड़ती है। बकौल नीलम सप्ताह या फिर दस दिनों में जैसे ही छुट्टी का शेडूयल बनता है। उसी अनुसार लगाए गए पौधों की देखरेख की जाती है। छटाई, नलाई के अलावा पौधों में पानी देने का कार्य भी किया जाता है। उनके पति भी इस कार्य में उनका पूरा सहयोग कर रहे है।

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