किसान आंदोलन में लस्सी की सेवा देने वाले गांव लडायन की सुनसान हुई गलियां
किसान आंदोलन में लस्सी की सेवा देने वाले गांव लडायन की सुनसान हुई गलियां।
विक्की जाखड़, साल्हावास :
मौजूदा दिनों में 36 जाखड़ खाप चबूतरे से जुड़े गांव लडायन की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ हैं। कारण कि एक मई से अभी तक गांव में करीब 12 मौत हो चुकी हैं। जिसमें चार मौत कोरोना संक्रमितों की भी शामिल हैं। प्राय: शेष मौतों के कारण स्पष्ट नहीं हैं। दरअसल, लावणियों से पहले तक इस गांव से जुड़े कुछ ग्रामीणों की टिकरी बॉर्डर पर चल रहे धरने पर बराबर सक्रियता थी। आंदोलन कर रहे लोगों की सेवा के लिए गांव से गाड़ी में लस्सी और किन्नू भी जाया करते थे। बहादुरगढ़ क्षेत्र की सीमा में लगाए गए एक तंबू में गांव से सामान भी जाता था। कुल मिलाकर, सामाजिक स्तर पर होने वाले हर तरह के आयोजन में सहभागिता यहां खूब देखने को मिलीं। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर के शुरुआती दौर तक गांव के हालात सामान्य थे। शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में जब संक्रमण अपने पैर पसारने लगा तो ग्रामीणों की गतिविधियां सीमित हो गई हैं। इधर, गांव में नियुक्त ग्राम सचिव द्वारा हो रही मौत का रिकॉर्ड रखा जा रहा हैं। कोरोना संक्रमण से हुई चार मौतों में से तीन की उम्र करीब 40 वर्ष की थी। जिसके बाद से ग्रामीणों की चिता और ज्यादा बढ़ गई हैं। बॉक्स : मौजूदा परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए गांव लडायन में भी अन्य गांवों की तर्ज पर सर्वे का कार्य किया जा रहा हैं। तीन हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव की गलियों में अब शांति का माहौल हैं। दरअसल, कोरोना का डर और स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनजर बढ़ती हुई जागरूकता भी इसका एक बड़ा कारण हैं। इधर, गांव में हो रही मौत के विषय में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं और ना ही कोई कारण समझने को। 576 घर वाले गांव लडायन में हुक्का चौपाल और ताश की चौकड़ी जमना भी प्राय: बंद ही हो गया है। सतर्कता के चलते ग्रामीण भी अपने बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे। मास्क का इस्तेमाल अब ग्रामीण करने लगे हैं।