सैकड़ों किसानों की खून पसीने की मेहनत पर फिरा पानी, मुआवजे से आस
जलमग्न हुए खेतों में नष्ट हुई फसल 1400 से अधिक आ चुकी शिकायतें बरसात की वजह से हजारों एकड़ जमीन हो रखी हैं जलमग्न
जागरण संवाददाता, झज्जर :
एक तरफ बरसात लोगों को राहत देने का काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ किसानों के लिए नुकसान का सौदा साबित हो रही है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के सैकड़ों किसान बरसात की मार झेल रहे हैं। बरसात ने किसानों के खून पसीने की मेहनत पर देखते ही देखत पानी फेर दिया। खेतों में जलजमाव के कारण किसानों की आंखों के समक्ष मेहनत से तैयार की गई फसलें नष्ट हो रही हैं। ऐसे में किसानों को अब सरकार से ही आस है। ताकि सरकार मुआवजा देकर किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई कर दें। इसके लिए फसलों का बीमा करवाने वाले किसान खराब हुई फसलों की शिकायत देने के लिए पहुंच रहे हैं। अब तक 1400 से अधिक फसल खराब होने की शिकायतें आ चुकी हैं। इन आवेदनों में सबसे अधिक कपास की फसल खराब होने के हैं। जिलेभर में पिछले करीब एक माह से बरसात का सिलसिला जारी है। जिसके कारण काफी खेतों में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि किसानों ने काफी लागत लगाकर फसलों को उगाया था, लेकिन अबवह फसलें बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में जिन किसानों ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाया हुआ था वे फसल खराब होने के 72 घंटे के अंदर इसकी शिकायत किसान सदन में दे सकते हैं। हालांकि, किसानों द्वारा शिकायत देने का सिलसिला पिछले करीब एक पखवाड़े से चल रहा है। जिसमें किसान अपनी खराब हुई फसलों का ब्यौरा दे रहे हैं। ताकि उनके खेतों का सर्वे किया जाए और उचित मुआवजा मिले। प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के प्रोजेक्ट का-आर्डिनेटर मंदीप दूहन ने बताया कि जिन फसलों में जलजमाव उनकी 1400 से अधिक शिकायतें आई हैं। जिनमें 70-75 फीसद शिकायतें कपास खराब होने की हैं और 25-30 फीसद शिकायतें बाजरे में जलजमाव की मिल रही हैं। कुछेक शिकायतें मक्का की फसल में जलभराव की भी है। हालांकि धान की फसल में जलभराव को इस बीमा कवर में शामिल नहीं किया जाता। जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवा रहा है और उनके खेतों में जलभराव से नुकसान होता है तो वे 72 घंटे के अंदर इसकी शिकायत दे सकते हैं। इसके दौरान किसानों को बैंक पासबुक की फोटोकापी लानी होगी, जिसमें से प्रीमियम कटा हुआ है, आधार कार्ड व खेवट नंबर या किला नंबर संबंधित अन्य दस्तावेज लाने होंगे।