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शहर में बढ़ा इनका आतंक, दौड़ाकर काटते हैं ये, बेबस दिख रही व्यवस्था

जागरण संवाददाता झज्जर शहर में आवारा कुत्तों का आतंक है। अस्पतालों में कुत्तों के क

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 01:31 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 01:31 AM (IST)
शहर में बढ़ा इनका आतंक, दौड़ाकर काटते हैं ये, बेबस दिख रही व्यवस्था
शहर में बढ़ा इनका आतंक, दौड़ाकर काटते हैं ये, बेबस दिख रही व्यवस्था

जागरण संवाददाता, झज्जर : शहर में आवारा कुत्तों का आतंक है। अस्पतालों में कुत्तों के काटे जाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल दिनों में सरकारी अस्पताल में रैबिज के इंजैक्शन नहीं मिल पाने के कारण लोगों को मजबूरी में निजी चिकित्सकों के यहां अपना उपचार करवाना पड़ रहा है। स्थिति ऐसी आन बनी है कि शहर की हर गली हो या नुक्कड़, कुत्तों के झुंड घूमते रहते हैं। लोगों का कहना है कि कई दफा नगर पालिका को इस संबंध में शिकायत की जा चुकी है। लेकिन वह कुछ भी करने को तैयार नहीं है। जबकि धरातल पर स्थिति यह है कि विशेष अभियान को चलाते हुए इन्हें पकड़ा जाना चाहिए। ताकि आमजन को राहत मिल सके। बॉक्स : सब्जी की दुकान चलाने वाले अधेड़ उम्र के हंसराज उर्फ हंसु पिछले सप्ताह अपनी दुकान से घर जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्हें कुत्ते ने पैर पर पीछे से काट लिया। खून से लथपथ हुए हंसु जब सिविल अस्पताल में पहुंचे तो उन्हें प्राथमिक उपचार तो मिल गया। लेकिन रैबिज का इंजैक्शन नहीं होने के कारण उन्हें बाजार से खरीदकर लगवाना पड़ा। इंजैक्शन का कोर्स पूरा करने से जहां उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं आमजन की इस समस्या को लेकर ध्यान नहीं दिए जाने की प्रवृति के कारण भी वह काफी व्यथित है। शहर के वार्ड नंबर 11 में रहने वाले हंसराज उर्फ हंसु अकेले ऐसे नहीं है। जिन्हें कुत्तों ने काटा है। साथ ही लगने वाले वार्ड नंबर तीन की गली के अलावा अन्य गलियों में कुत्तों ने आतंक मचाया हुआ है। की गई शिकायत के आधार पर टीम दौरा करने तो आई थी। लेकिन वे स्वयं स्थानीय लोगों से मदद मांगते हुए दिखाई दिए। परिणाम स्वरूप आज लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बॉक्स :

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बेबस दिख रही व्यवस्था के कारण आज बच्चे हो या बुजुर्ग या फिर महिलाएं, उनके लिए गली से पैदल तक निकलना भी आसान नहीं। गली में रहने वाले लोगों के अलावा बाहर से आने वाले लोग भी गलियों से होकर गुजरने से गुरेज करने लगे हैं, जहां पर ऐसे झुंड दिखाई दे जाए। वहां से लोग वापिस गुजरना ही मुनासिब समझते हैं। शहर में बनी इस व्यवस्था में कुत्तों के साथ-साथ बंदरों के कारण होने वाली परेशानी भी सभी के समक्ष है। जिसका प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाना जरूरी है।

प्रतिक्रिया : मुद्दा गंभीर है। विधानसभा तक में विषय उठाया जा चुका है। गंभीरता से प्रशासन के स्तर पर कदम उठाया जाना चाहिए। ताकि आमजन को दिक्कत नहीं हो। खास तौर पर रात के समय में अंधेरे में तो गली से गुजरने वाले लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है। इसलिए कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।

गीता भुक्कल, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं विधायक झज्जर।


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