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खेत खलिहान : खेतों में बनने वाली जलजमाव की स्थिति में रखें विशेष ध्यान

मौजूदा समय में अगर गौर करें तो धान व गन्ने को छोड़कर कपास बाजरा ज्वार ग्वार व मूंग आदि की फसलों में किसान लंबे समय तक पानी भरा ना रहने दें।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 06:30 AM (IST)
खेत खलिहान : खेतों में बनने वाली जलजमाव की स्थिति में रखें विशेष ध्यान
खेत खलिहान : खेतों में बनने वाली जलजमाव की स्थिति में रखें विशेष ध्यान

जागरण संवाददाता,झज्जर :

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वैसे तो बरसात को फसलों के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन, लंबे समय तक फसलों में जलजमाव की स्थिति बनते से विपरीत प्रभाव पड़ने लगा हैं। मौजूदा समय में अगर गौर करें तो धान व गन्ने को छोड़कर कपास, बाजरा, ज्वार, ग्वार व मूंग आदि की फसलों में किसान लंबे समय तक पानी भरा ना रहने दें। जलजमाव के कारण पौधे नष्ट होने लगते हैं। जितना लंबे समय तक जलजमाव रहेगा, उतना ही फसल के लिए हानिकारक है। विशेषज्ञों की ओर से किसानों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों में जलभराव नहीं होने दे। अगर जलजमाव होता है तो जल निकासी के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए ताकि, किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सकें। विशेष तौर पर मौजूदा मौसम में कपास को लेकर भी किसानों को सावधान रहने की जरूरत है। कपास में फंगस आदि रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है। इसलिए किसान अपने खेतों की निरंतर निगरानी रखें। अगर किसान लगातार खेतों में जाते रहेंगे तो उन्हें पता लगता रहेगा कि फसल ठीक है या कोई कमी है। अगर उनकी फसल में कोई रोग आएगा तो किसानों को समय से पता चल जाएगा। जिससे कि उसका उपचार जल्दी करके फसल को बचाया जा सकता है। इन दिनों के हिसाब से कपास में फंगस की संभावना अधिक रहती है। फंगस के कारण पौधे का तना काला पड़ जाता है। अगर किसान उस तने को बीच से काटकर देखेंगे तो तने के बीच में भी काला रंग दिखाई देगा। पौधे को उखाड़ेंगे तो जल्दी उखड़ जाएगा। ऐसे में किसान कार्बंडिजम नामक दवाई की दो ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे कर सकते हैं। स्प्रे करते समय किसान यह ध्यान रखें कि स्प्रे पौधे के तने व जड़ में होनी चाहिए। जिससे स्प्रे का फायदा मिले। वहीं अगर फंगस पत्ते के पौधे, फल व फूल में है तो भी इस दवाई का इस्तेमाल कर सकते है। - कृषि विभाग के तकनीकी सहायक अशोक सिवाच के मुताबिक किसान अपनी कपास, बाजरा, ज्वार, ग्वार, मूंग आदि फसलों में पानी लंबे समय तक जमा ना रहने दें। अगर कपास में फंगस आदि के रोग आता है तो विशेषज्ञों की सलाह से इसका उपचार करें।


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