सितंबर माह को मनाएंगे पोषण माह के रूप में, कुपोषण को दूर करने पर जोर
-अलग-अलग गतिविधियों के तहत आयोजित किए जाएंगे कार्यक्रम
जागरण संवाददाता,झज्जर :
सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य कुपोषण को दूर करने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए लिए महीनेभर तक अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। ताकि लोगों में पोषण संबंधित जागरूकता आए। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषण को कम करने के लिए फोकस किया जा रहा है। चौथा राष्ट्रीय पोषण माह एक सितंबर से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। पोषण अभियान के तहत कुपोषण का शिकार हुए बच्चों का सर्वे करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान भी चलाया जाएगा। इस दौरान आंगनबाड़ी वर्कर, आशा वर्कर व एएनएम 5 साल तक के बच्चों की लंबाई व वजन का माप करेंगी। इस दौरान कुपोषण का शिकार हुए बच्चों का भी पता लगाया जाएगा। कुपोषण को दूर करने के लिए बाजरा, दालें, स्थानीय फल व सब्जियां आदि खाने के बारे में भी जागरूक किया जाएगा। खानपान के प्रति बच्चों, गर्भवती महिलाओं व स्तनपान करवाने महिलाओं को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राष्ट्रीय पोषण माह के तहत अलग-अलग चार सप्ताह में अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। पहले सप्ताह में पौधारोपण के माध्यम से पोषण वाटिका बनाई जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, पंचायत आदि सार्वजनिक जगह का चयन किया जा सकता है। जहां पर पौधारोपण करके पोषण वाटिका बनाने के लिए उचित जगह उपलब्ध हो। दूसरे सप्ताह में पोषण के लिए योगा व आयुष के बारे में बताया जाएगा। गर्भवती महिलाओं, बच्चों व किशोरियों के विभिन्न समूहों के लिए योग सत्र का आयोजन किया जाएगा। तीसरे सप्ताह में आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषाहार किट वितरित की जाएगी। चौथे सप्ताह में अत्यधिक कुपोषण का शिकार बच्चों की पहचान के बार उनके लिए पौष्टिक भोजन के वितरण का अभियान चलाया जाएगा। चारों सप्ताह में अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से पोषण के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास रहेगा, ताकि कोई भी कुपोषण का शिकार ना हो। बच्चे ही नहीं गर्भवती महिलाएं व किशोरी भी कुपोषण का शिकार होती हैं। इसका असर उनके स्वास्थ्य व भविष्य पर भी पड़ता है।
-महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी नीना खत्री ने बताया कि 1 से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाएगा। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को पोषण के बारे में जागरूक करेंगी। ताकि कोई कुपोषण का शिकार ना हो।