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निजीकरण, कर्मचारियों की छंटनी व तीनों अध्यादेशों के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन

निजीकरण कर्मचारियों की छंटनी व तीनों अध्यादेशों के विरोध में विभिन्न ट्रेड यूनियनों किसान व कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर सत्याग्रह आंदोलन किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और मांगों को लेकर सरकार को चेताया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:30 AM (IST)
निजीकरण, कर्मचारियों की छंटनी व तीनों अध्यादेशों के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन

जागरण संवाददाता, झज्जर : निजीकरण, कर्मचारियों की छंटनी व तीनों अध्यादेशों के विरोध में विभिन्न ट्रेड यूनियनों, किसान व कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर सत्याग्रह आंदोलन किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और मांगों को लेकर सरकार को चेताया।

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भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह से जुड़ते हुए अपनी आवाज बुलंद की। जिसमें कर्मचारी व संगठन नेता जमकर सरकार के खिलाफ गरजे। अध्यक्षता सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रामबीर, किसान सभा सूबेदार सत्यनारायण, सीटू जिला प्रधान एवं मिड-डे-मील राज्य प्रधान सरोज दुजाना, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से हवा सिंह राठी, हरियाणा कर्मचारी महासंघ जिला प्रधान मनोज दांगी ने संयुक्त रूप से की। वहीं आंदोलन का संचालन जिला सचिव विष्णु जांगडा एवं सीटू जिला सचिव किरण बराहणा ने किया।

सत्याग्रह के लिए कर्मचारी गुरुग्राम रोड स्थित लघु सचिवालय के सामने ग्रीन बेल्ट में इकट्ठे हुए। जहां एसकेएस के खंड बहादुरगढ़ प्रधान बिजेंद्र सैनी ने कहा कि सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव मजदूर-किसान विरोधी अध्यादेश निरस्त करे, निजीकरण पर रोक लगाए, परियोजना वर्कर्स समेत सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करे, जब तक पक्का नहीं किया जाता तब तक 24 हजार रुपए वेतन लागू किया जाए, टैक्स के दायरे से बाहर सभी के लिए 7500 रुपये 6 माह तक नगद व हर जरूरत के हिसाब से प्रति सदस्य 10 किलो अनाज फ्री दे, निर्माण मजदूरों की 90 दिन की तसदीक की मनरेगा के तहत 200 दिन काम व 600 रुपये दिहाड़ी की जाए, जेबीटी शिक्षकों की भर्ती निकालने व एचटेट की मान्यता अवधि नेट (राष्ट्रीय पात्रता टेस्ट) की तरह ताउम्र करने आदि मांगों को पूरा किया जाए। कर्मचारी ग्रीन बेल्ट से प्रदर्शन करते हुए अंबेडकर चौक पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

एसकेएस के जिला प्रधान रामबीर ने कहा कि डीएचबीवीएन ने जूनियर सिस्टम इंजीनियर के 2019 में भर्ती निकाली थी। लेकिन परीक्षा हो चुकी है अब रद किया जा रहा है। जिससे युवाओं को नुकसान होगा। इसके तुरंत परिणाम घोषित करके ज्वाइनिग करवाई जाए। बिजेंद्र सैनी ने बिजली निजीकरण के बिजली संशोधन बिल 2020 व ऊर्जा क्षेत्र के किए जा रहे निजीकरण के खिलाफ 18 अगस्त को होने वाली कोयला पैट्रोलियम कर्मचारियों की हड़ताल का भी समर्थन किया। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त को सभी विभागों के कर्मचारी हड़ताल की एकजुटता में प्रदेशभर में प्रर्दशन करेंगे। जिला प्रधान रामबीर, जिला सचिव विष्णु जांगडा ने कहा कि सरकार जन सेवाओं का निजीकरण कर रही है। साथ ही 1983 पीटीआई सहित बड़े पैमाने पर ठेका कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। बॉक्स :

सत्याग्रह में जन सेवाओं के निजीकरण करने पर रोक लगाने, ठेका कर्मचारियों की छंटनी पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन बहाल करने, ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को सीधा विभागों के पे रोल पर लेने, कर्मचारियों का जुलाई 2021 तक गैर कानूनी तरीके से रोके गए महंगाई भत्ते को बहाल करने आदि मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।

सत्याग्रह के दौरान किसान सभा से जयप्रकाश बैनीवाल, ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन के राज्य सचिव बंसीलाल, सर्कल सचिव देवेंद्र पूनिया, नगरपालिका कर्मचारी संघ के राज्य सदस्य राजपाल, हरियाणा अध्यापक संघ एवं एसकेएस प्रेस सचिव रमेश जाखड़, हरियाणा पीडब्ल्यूडी मेकेनिकल वर्कर यूनियन के राज्य उप महासचिव जयपाल गुढा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से एडवोकेट मंगत राम कौशिक, आशा वर्कर यूनियन की राज्य प्रधान प्रवेश, पीटीआई के जिला प्रधान देवेंद्र शर्मा, किसान सभा से रामचंद्र यादव, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन से सुनील प्रधान, ग्रामीण चौकीदार जिला प्रधान नरेश, इंटक के जिला प्रधान सुरजीत गुलिया, भवन निर्माण से मुकेश मोरखी ने मांगों को लेकर सरकार की जन विरोधी नीतियों को बताया।


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