चार्तुमास की अंतिम एकादशी 11 को, उपवास करने से होता है पापों का नाश
एकादशी का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन एवं भागवत गीता का पाठ उत्तम होता हैं।
जागरण संवाददाता, झज्जर : 11 नवंबर को रमा एकादशी है। मान्यता है कि एकादशी का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन एवं भागवत गीता का पाठ उत्तम होता हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित भावुक शर्मा ने रमा एकादशी के महत्व के बारे में बताया कि शास्त्रों में एकादशी का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। दिवाली से पहले कार्तिक कृष्ण एकादशी का महत्व और अधिक इसलिए बढ़ जाता है कि यह चतुर्मास की अंतिम एकादशी है। इस दिन उपवास करने से व्रत रखने वाला अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे रंभा एकादशी से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। क्योंकि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन भगवान के अवतार श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
ऐसे करें रमा एकादशी का उपवास
पंडित भावुक शर्मा ने बताया कि इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की फल, फूल, धूप, अगरबत्ती से पूजा कर उन्हें भोग लगाएं। पूजा के दौरान तुलसी जरूर चढ़ाएं। उसके बाद यह व्रत रखें और व्रत कथा पढ़ें। इस दिन घर पर सुंदरकांड, भजन व गीता का पाठ करने से भी पापों का नाश होता है। जो लोग उपवास नहीं रखें, उन को भी इस दिन चावल और उससे बने पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। रमा देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम है। भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से जीवन में सुख समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशियां आती है। जो मनुष्य इस महात्म्य को पढ़ते है या सुनते है वे समस्त पापों से छुटकर बैकुंठ धाम को प्राप्त करते है।