बेसहारा गोवंश की वजह से कम नहीं हो रही परेशानियां
- अधिवक्ताओं ने भी पिछले साल बेसहारा पशुओं की समस्या को लेकर डाली थी जन याचिका
- अधिवक्ताओं ने भी पिछले साल बेसहारा पशुओं की समस्या को लेकर डाली थी जन याचिका
- उम्मीद के मुताबिक आज भी कार्यवाही के इंतजार में शहरवासी
- परिषद की आम बैठक में भी पिछले दिनों नंदियों को छोड़ने का प्रस्ताव हुआ था पारित फोटो : 20 तथा 21 जागरण संवाददाता, झज्जर : बेसहारा गोवंश की वजह से परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही। शहर की गली, सड़क, चौक-चौराहे, रिहायशी क्षेत्र हो या बाजार, हर जगह पर बेसहारा गोवंश की वजह से दिक्कत आन बनी है। खास तौर पर रात के समय में जहां पर रोशनी नहीं होती। वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को ज्यादा असुविधा होती है। हालांकि, सरकार के स्तर पर गोवंशों के ऊपर रिफलेक्टर टेप लगाने की बात कही गई थी। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं हो पाया है। जिला मुख्यालय की बात हो तो नंदियों का शहर की गली, बाजार और चौक-चौराहों पर मानो कब्जा हो रखा है। रात हो या दिन हर किसी के लिए यह परेशानी का सबब आन बने है। ठीक ऐसे ही हालात ग्रामीण अंचल से होकर गुजरने वाले मार्ग पर भी दिखाई देते हैं। जिसकी वजह से हर तरह के वाहन चालकों को सड़क दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। पिछले साल शहर के अधिवक्ताओं ने जनहित याचिका डालते हुए विषय उठाया था। उसका भी आज तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि, नगर परिषद की पिछली आम बैठक में भी विषय सदन के समक्ष रखा गया। बहरहाल, अब इंतजार हो रहा है कि शहरवासियों के समक्ष दिख रही इस बड़ी समस्या से निजात दिलाई जाए। इधर, संबंधित उप-मंडल अधिकारी अपने अपने क्षेत्र में समस्या के समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए। उम्मीद के मुताबिक आज भी कार्यवाही के इंतजार में शहरवासी : खास तौर पर नंदियों की वजह से शहर की सड़कों और गलियों से गुजरना आसान नहीं है। बच्चों और बुजुर्गों के यह विषय गंभीर रूप से परेशानी का सबब बना हुआ है। नंदियों की चपेट में आने की वजह से चोटिल हो चुके लोग इन्हें देखते ही अपना रास्ता बदल लेते है। लोगों के मुताबिक शहर की जनता को हो रही इस परेशानी के बारे में प्रशासनिक स्तर पर क्यों ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। जबकि, विकास के नाम हो रहे अन्य कार्य भी इनकी वजह से प्रभावित हो रहे हैं। परिषद के स्तर पर नंदियों को छोड़ने का प्रस्ताव हुआ था पारित : पिछले दिनों हुई नगर परिषद की बैठक में पारित हुए 40 प्रस्तावों में एक यह भी रहा कि नंदियों को पकड़कर नंदीशाला में छोड़ा जाए। लेकिन, इसकी व्यवस्था क्या रहेगी और यह कार्य कब हो पाएगा। इसका सभी को इंतजार है। जबकि, पिछले साल शहर के कुछ अधिवक्ताओं ने एक जन हित याचिका डालते हुए विषय को उठाया था। जिसके बाद काफी हद तक उम्मीद भी जगी थी कि समाधान हो जाएगा। अदालत में उठाए गए विषय में परिषद ने कहा था कि उन्हें इस कार्य को पूरा करवाने के लिए बजट की आवश्यकता है। जिसके लिए मुख्यालय में लिखा गया है। बहरहाल, विषय कहां पर अटका है, ध्यान दिया जाना चाहिए।