आतंकियों को मारने वाले पवन को राष्ट्रपति से मिला वीरता पुरस्कार
पवन कुमार 18 सितंबर 2008 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वर्ष 2016 में इनकी सिपाही से हवलदार पद पर पदोन्नति मिली। उस समय इनकी नियुक्ति जम्मू-कश्मीर में थी।
जागरण संवाददाता, झज्जर : अपनी सेवा के दौरान 3 आतंकियों को ठिकाने लगाने वाले डावला गांव के पवन कुमार को गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के हाथों पवन कुमार ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। पुरस्कर प्राप्त होने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
पवन कुमार 18 सितंबर 2008 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वर्ष 2016 में इनकी सिपाही से हवलदार पद पर पदोन्नति मिली। उस समय इनकी नियुक्ति जम्मू-कश्मीर में थी। वर्ष 2018 में ही 13 सितम्बर को ड्यूटी के दौरान खबर मिली कि ट्रक में 3 आतंकी सवार है, जो विदेश से घुसपैठ कर रहे हैं। एआरओके रिहायशी इलाके में ये आतंकी घुसे हैं। अपनी टीम के साथ पवन कुमार ने सर्च ऑपरेशन चलाया। मुठभेड़ में पवन कुमार के साथ टीम ने वीरता का परिचय दिया और तीनों आतंकियों को चार घंटे की मुठभेड़ में मार गिराया। इस उस समय वे 187 बीएन बटालियन में तैनात थे। उस वीरता के लिए उन्हें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिससे परिवार व गांव में खुशी का माहौल है। बड़े भाई से मिली देश सेवा की प्रेरणा
इधर, पवन कुमार ने बताया कि अपने बड़े भाई अनिल कुमार की प्रेरणा से वह सीआरपीएफ में भर्ती हुए। वे करीब डेढ़ वर्ष तक असम में भी तैनात रहे। जबकि सात वर्ष तक उन्होंने नक्सली इलाके में सेवा दी है। यहां भी कई बार पवन कुमार ने कई मोर्चो पर बहादुरी का परिचय दिया। अब चार वर्ष से जेएंडके में तैनात हैं। पवन कुमार के पिता रामेश्वर व माता बिमला देवी को अपने बेटे पर गर्व है। पत्नी सुमन व अन्य सदस्य प्रसन्न है कि पवन कुमार ने वीरता से देश की रक्षा की। पवन के पिता किसान हैं और माता गृहिणी हैं। पवन के बड़े भाई अब सेना से सेवानिवृत हो गए हैं। माता-पिता का कहना है उन्हें अपने बेटे पर नाज है।