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बिरड़ गांव में नहीं होगी धान की खेती, हुआ फैसला

- 70 फीसद तक सेमग्रस्त हुई गांव की खेती लायक जमीन - ग्रामीणों ने पंचायत करते हुए लिया फैसला

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 08:00 AM (IST)
बिरड़ गांव में नहीं होगी धान की खेती, हुआ फैसला
बिरड़ गांव में नहीं होगी धान की खेती, हुआ फैसला

- 70 फीसद तक सेमग्रस्त हुई गांव की खेती लायक जमीन

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- ग्रामीणों ने पंचायत करते हुए लिया फैसला, मेरा पानी मेरी विरासत योजना पर लगी मोहर फोटो : 17

जागरण संवाददाता, झज्जर :

गांव बिरड़ में ग्रामीणों ने एक पंचायत करते हुए धान की खेती नहीं करने का फैसला लिया है। ग्रामीणों के मुताबिक मुख्यमंत्री के मेरा पानी मेरी विरासत योजना से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है। साथ ही ग्रामीणों ने उम्मीद करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में सरकार के स्तर पर भी गांव में सुविधाओं को लेकर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बता दे कि क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न गांवों में पिछले वर्ष काफी गांवों ने आगे आते हुए धान की खेती नहीं करने का फैसला लिया था। कारण कि क्षेत्र के काफी गांवों में जल भराव की स्थिति की वजह से खेती करना तक आसान नहीं रहा। जबकि, सरकार ने भी ग्रामीणों को धान की खेती छोड़कर अन्य फसलों की तरफ ध्यान बढ़ाने के लिए प्रयास किए थे। बहरहाल, मौजूदा समय में अब पुन: नए सिरे से गांव में धान की खेती नहीं करने के लिए ग्रामीण आगे आ रहे हैं। 85 फीसद तक होती थी धान की खेती

बॉक्स : 2500 की आबादी वाले बिरड़ गांव की बात की जाए तो यहां पर करीब 600 घर है। गांव की करीब 6 हजार बीघा जमीन में से करीब 85 फीसद जमीन पर पहले धान की खेती होती थी। जिसमें से 70 फीसद तक जमीन सेमग्रस्त हो चुकी है। बनी इस स्थिति से निजात पाने की दिशा में ग्रामीणों ने पंचायत करते हुए फैसला लिया। सर्वसम्मति से लिए गए फैसले में सरपंच राजपाल, चंद्र सिंह पंच, धर्मबीर, युद्धवीर सिंह, अजय सिंह, राज कुमार, प्रह्लाद, सुरेश, अजय कुमार, सुनील कुमार, खुशी राम, बब्लू आदि ने तय किया गया वे धान की खेती नहीं करेंगे। ताकि, जमीन में और अधिक नुकसान नहीं हो। बेरी क्षेत्र में भी कई गांव ले चुके फैसला :

धान की खेती को छोड़कर अन्य फसलों की तरफ रुझान बढ़ाने का विषय पंचायती स्तर पर हो या कृषि विभाग की तरफ से होने वाले प्रयास। पिछले साल इसमें काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए थे। सरकार ने जहां किसानों को खेती बदलने पर प्रोत्साहन दिया था। वहीं, अब गांव के स्तर पर भी ग्रामीण इसकी महत्ता समझने लगे है। बेरी क्षेत्र में खास तौर पर कई गांवों ने धान छोड़कर जमीन का स्तर सुधारने के लिए कार्य किया था।


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