.. अब बिरोहड़ के छात्रों ने दिया धरना, समस्याओं के समाधान की उठाई बात
जागरण संवाददाता, झज्जर : जीवन में कुछ कर खास करने की इच्छा रखते हुए घर से कालेज तक प
जागरण संवाददाता, झज्जर : जीवन में कुछ कर खास करने की इच्छा रखते हुए घर से कालेज तक पहुंचने वाले विद्यार्थी अब मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने की मांग को लेकर धरना और प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्याएं उठा रहे हैं। एक सप्ताह पहले जहां जिला मुख्यालय स्थित राजकीय महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं ने यहां सड़क पर उतरते हुए जाम लगाकर बस की समस्या का समाधान किए जाने की मांग उठाइ्र थी। वहीं शुक्रवार को बिजली की समस्या से परेशान राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ के विद्यार्थियों ने कॉलेज परिसर में धरना देकर अपना रोष प्रकट किया। विद्यार्थियों ने नारेबाजी करते हुए समस्या के जल्द समाधान नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी। विद्यार्थियों का कहना है कि कई दफा कॉलेज प्रबंधन को समस्या से अवगत करवाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते विद्यार्थियों में खास रोष बना हुआ है। उनका कहना है कि वह संस्थान में पढ़ने के लिए आते है। परिवार भी यहीं सोचता है कि हम आदर्श एवं बेहतर माहौल में अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन जिन परिस्थितियों में हमें यहां शिक्षा मिल रही है। वह अब कचोटता है। धरने में शामिल रहे विद्यार्थी सुखेंद्र उर्फ सोनू फोगाट, नगेश, सचिन, अजय, नीरज, सुनील, मोहित, सोनू, विनय, कर्मबीर, सुनील, साहिल, आकाश, विनय, अमन, मंजीत, सोनू ने बताया कि कालेज में बिजली की समस्या काफी गंभीर है। प्रतिदिन दोपहर बाद ही बिजली आती है। जिसके चलते उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। वहीं गर्मी से भी बुरा हाल हो रहा है। पहले बिजली नहीं आने पर जनरेटर से कुछ समय तक काम चल जाता था। लेकिन अब वह भी खराब हो रखा है। जिसको ठीक भी नहीं करवाया जा रहा है। बार-बार कॉलेज प्रबंधन को सूचित करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो पाया है। उनका कहना था कि कॉलेज में प्राचार्य की स्थाई नियुक्ति नहीं होने के कारण विद्यार्थियों की समस्याओं का समुचित ढंग से समाधान नहीं हो पा रहा। पहले भी बसों की समस्या से जूझ रहे हैं छात्र
राजकीय महाविद्यालय झज्जर और बिरोहड़ की तर्ज पर ही राजकीय इंजीनिय¨रग कॉलेज के छात्र भी ठीक मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशान है। इंजीनिय¨रग के छात्रों का कहना है कि वह एक उम्मीद के साथ यहां प्रवेश लेकर आए थे। लेकिन उनका काफी समय तो संस्थान तक पहुंचने और वापिस आने में ही गुजर जाता है। बस के चालक ना तो ढंग से बस रोकते हैं और ना ही सम्मान देते हैं। ऐसी स्थिति में वह अपनी समस्या को किसके समक्ष उठाएं। यह समझ में नहीं आ पा रहा है। इधर, प्रबंधन के स्तर पर भी बात उठाई गई है। लेकिन अभी तक कोई पुख्ता हल नहीं निकल पाया।