जागरण विशेष : कोच की इस सीख से क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में इरान के पहलवान को जितेंद्र ने दी शिकस्त
- लैग अटैक लैग डिफेंस पर काम करने की सीख आई पहलवान जितेंद्र के काम - बु
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- लैग अटैक, लैग डिफेंस पर काम करने की सीख आई पहलवान जितेंद्र के काम
- बुपनियां अखाड़े से अपने करियर की शुरुआत करने वाले पहलवान जितेंद्र से जिला को बंधी खास उम्मीद
- वर्ष 2007 से बुपनिया के जयबीर अखाड़े में प्रैक्टिस कर रहा जितेंद्र पहलवान
- मूल रूप से गुरुग्राम के तिरपड़ी गांव में रहने वाले जितेंद्र से हर किसी को उम्मीद
- कोच की सीख से क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में इरान के पहलवान को जितेंद्र ने दी थी शिकस्त अमित पोपली, झज्जर :
बुपनियां गांव स्थित जयबीर अखाड़े में करीब 13 साल पहले गुरुग्राम के तिरपड़ी गांव से सेवा-निवृत फौजी महेंद्र सिंह अपने छोटे बेटे को पहलवानी के गुर सिखाने के लिए छोड़कर गए थे। इस उम्मीद पर कि बेटा बड़ा होकर एक दिन खेल, गुरु और देश सभी का नाम रोशन करेगा। फौज में रहते हुए देश सेवा करने वाले पिता की सोच के अनुरूप आज वह किशोर नामचीन पहलवान जितेंद्र के रूप में अपनी पहचान रखता है। दरअसल, झज्जर जिला की माटी पर अभ्यास करते हुए इस खास मुकाम पर पहुंचने वाले जितेंद्र कुमार ने रविवार को एशियन कुश्ती प्रतियोगिता के फाइनल में जगह बनाकर दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के जापान ओलंपिक में जाने के रास्ते पर ब्रेक भी लगा दिया है। अपने शिष्य की इस उपलब्धि पर जब अखाड़ा के संचालक जयबीर कोच से बात हुई थी तो वह काफी प्रसन्न दिखे। साथ ही यह भी घोषणा कर दी कि अगर वह इसी तरह से मेहनत करता रहा तो ओलंपिक में अपने भार वर्ग में देश के लिए मेडल जरूर लेकर आएगा। कोच की इस सीख से क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में इरान के पहलवान को दी शिकस्त
होनहार पहलवान जितेंद्र ने पिछले 13 सालों में अखाड़ा में दांव-पेंच की सीख अपने कोच जयबीर से ली है। इधर, ओलंपिक मेडल पर नजर जमाए हुए कोच भी जितेंद्र के खेल सहित तकनीकी रूप से हर उस पहलु का ध्यान रखते हैं जिससे उसके खेल में और भी अधिक सुधार हो सके। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में जाने से पहले जितेंद्र को विशेष तौर पर लैग अटैक और लैग डिफेंस पर काम करने के लिए प्रेरित किया था। जिसके परिणाम स्वरूप ही क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में इरान के पहलवान को उसी दांव का इस्तेमाल करते हुए दो अंक भी प्राप्त किए। मौके पर लैग अटैक की सीख काम आई और दो अंक प्राप्त किए। इधर, फाइनल मुकाबले में एक प्वाइंट तो हासिल हुआ। लेकिन, डिफेंस ठीक नहीं हो पाने के कारण दो अंक से चूक गए। कोच के मुताबिक मैच के क्रूशियल मौके पर खिलाड़ी को खास दांवों पर काम करना होता है। चूंकि, सीनियर होने के नाते साथी पहलवानों को भी जितेंद्र से काफी उम्मीदें थी और वह भी अपने अभ्यास को देखते हुए आश्वस्त था कि प्रदर्शन पहले से बेहतर से होगा। जैसा कि देखने को भी मिला है।