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तंत्र के गण : समाज : नगर खेड़ा मंदिर से बह रही सद्भावना और समृद्धि की बयार

- धार्मिक कार्यक्रम के साथ बचे सीख रहे योग व हवन-यज्ञ

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 06:07 PM (IST)
तंत्र के गण : समाज : नगर खेड़ा मंदिर से बह रही सद्भावना और समृद्धि की बयार
तंत्र के गण : समाज : नगर खेड़ा मंदिर से बह रही सद्भावना और समृद्धि की बयार

जागरण संवाददाता, झज्जर : नगर खेड़ा मंदिर बाबा प्रसाद गिरी की प्रसिद्धि किसी से छिपी नहीं हैं। यहां ऊंच-नीच के भेदभाव को भूलकर सबकी समृद्धि व सामाजिक सद्भावना के लिए प्रार्थना ही नहीं, बच्चों के भविष्य को भी संवारा जा रहा हैं। मंदिर में योग कक्षाएं निरंतर लगती हैं, जिसमें बच्चे ही नहीं बड़े भी भाग लेते हैं। जिससे सभी का स्वास्थ्य ठीक रहे। वहीं, योग सीखने वाले बच्चे समय-समय पर हवन-यज्ञ का भी आयोजन करते रहते हैं। इसके माध्यम से बच्चों में योग व हवन-यज्ञ के प्रति रुझान बढ़ाया जाता है, ताकि बच्चे भी देश की संस्कृति से जुड़े रहें। इसका उद्देश्य समाज को एक अलग दिशा देना है। ताकि, सभी लोग स्वस्थ, समृद्ध व मिलजुलकर रहने के साथ-साथ धार्मिक आस्था भी रहें। सिद्ध शक्ति पीठ बाबा प्रसाद गिरी जी महाराज का मंदिर लगभग चार सौ वर्ष पुराना है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, नागपुर, गुजरात, राजस्थान सहित पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालु बाबा की समाधि पर अपना शीश नवाते हैं। महंत परमानंद गिरि महाराज के सानिध्य में अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के साथ अन्य कार्यक्रम भी होते रहते हैं। वहीं प्रतिवर्ष फाग उत्सव पर दुल्हेडी के दिन यहां पर पंखे चढ़ाए जाते हैं। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर बाबा की समाधि पर पंखे चढ़ाते है। साथ ही समय-समय पर सामाजिक सौहार्द बनाने के लिए कार्यक्रमों का भी आयोजन होता रहता है। प्राचीन कथा के अनुसार बाबा की एक भक्त थी और वह सच्ची निष्ठा और लग्न के साथ भक्ति करती थी। एक दिन उसके पति की अचानक मृत्यु हो गई। तब महिला भक्त ने बाबा के चरणों में रोते हुए कहा कि बाबा मेरा तो सब कुछ समाप्त हो गया। आज मेरे पति की मृत्यु हो गई है। तब बाबा ने महिला भक्त से कहा बेटी रो मत, जब तेरे पति की शव यात्रा निकले तब मेरे पास लेकर आना। उन्होंने ऐसा ही किया। जब मृतक शरीर को मंदिर में लेकर आए तब बाबा प्रसाद गिरी जी महाराज ने स्वयं अपने प्राण उस मृतक शरीर में डाल कर स्वयं समाधि ले ली और मृतक जीवित हो गया। इससे लोगों की आस्था मंदिर के प्रति काफी अधिक बढ़ गई। बाबा ने जिस स्थान पर अपनी समाधि ली उसी स्थान पर भक्तों ने बाबा का भव्य मंदिर बनवाया है। मृत्युंजय गिरी महाराज ने बताया कि प्रसाद गिरी मंदिर का इतिहास पुराना है। साथ ही समाज में सद्भाव व समरसता के लिए हमेशा ही काम करता रहा है। महंत परमानंद गिरि महाराज के सानिध्य में योग कक्षाओं ले लेकर धार्मिक कार्यक्रम तक आयोजित होते हैं।

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