तस्वीर को देखकर रोने लगी मां, वीडियो कॉ¨लग के बाद मिला सुकून
अमित पोपली, झज्जर : बेशक ही यह एक मिसाल ही है कि देशभक्ति और खेल के प्रति जुनून एथलीट
अमित पोपली, झज्जर : बेशक ही यह एक मिसाल ही है कि देशभक्ति और खेल के प्रति जुनून एथलीट्स से उसका सर्वश्रेष्ठ निकालता है चाहे वह बीमार ही क्यों न हो। ऐसा ही कर दिखाया है जिला के अंतर्गत आने वाले कुलाना के इस लाल ने। पिछले कई दिनों से खराब चल रही तबीयत एवं शारीरिक परिस्थितियों को ही अपनी ताकत बनाते हुए कांस्य पदक अर्जित करने वाले दुष्यंत ने सेना का नाम ऊंचा किया है। इधर, मेडल जीतने के बाद जब दुष्यंत की बिगड़ी हुई तबीयत का उनकी मां आशा चौहान को पता चला तो वह उसकी तस्वीर को ही देखकर रोने लगी। रेस समाप्त होने के दो घंटे बाद तक तो उसका फोन आया ही नहीं था। ऊपर से जिस तरह के समाचार आ रहे थे उसे सुनने के बाद उनकी परेशानी ज्यादा बढ़ गई। कोच को फोन किया तो कोई संपर्क नहीं हो पाया। मां का दिल था आखिर इंतजार करता भी कैसे। पुणे में कोच की पत्नी को फोन करते हुए अन्य नंबर लिए।
बाद में सीईओ के मामला संज्ञान में आने के बाद, गेम के करीब 4 घंटे के बाद एक वीडियो कॉल आई। जिसमें सिर पकड़े हुए दुष्यंत ने सिर्फ इतना ही कहा कि नमस्ते मम्मी। जिसके बाद कनैक्शन कट गया। तमाम तरह के प्रयासों के बाद मां आशा चौहान ने जब अपने बेटे से यह वीडियो कॉल की तो उनके सांस में सांस आ पाई। मां का भी कहना है कि स्कूल से लेकर वह आज तक कभी नहीं हारा है उम्मीद थी वहां भी बेहतर रहेगा।
दरअसल, बृहस्पतिवार को जब बात हुई थी तो तबीयत खराब होने तथा साथियों के खराब प्रदर्शन के कारण निराश जरूर था। लेकिन यह भी कह रहा था कि अपना बेहतर देगा। जैसा कि उसने करके भी दिखाया है। जब गया था तो उस दौरान भी थी नाजुक तबीयत
मां आशा चौहान के मुताबिक 13 अगस्त को जब वह पुणे से मुंबई जा रहा था तो उस दौरान बात हुई थी। बता रहा था कि बुखार है। चूंकि गेम में जाना था और हिस्सा लेना था। इसलिए बाहर से भी दवा नहीं ले सकता था। वहां भी जब-जब बात हुई तबीयत ढीली ही थी। इधर, बृहस्पतिवार को खेल के पांचवें दिन जब अन्य साथियों का प्रदर्शन भी हल्का ही रहा तो यूनिट से फोन आ रहे थे कि दुष्यंत बेहतर करना है। चूंकि पहला मुकाबला इसी का था। जिसका इस पर दबाव भी था। बेशक ही आज उसने अपनी शारीरिक परिस्थिति को ताकत बनाते हुए जान को भी दांव पर लगाकर मेडल दिलाने का काम किया है। जो कि आने वाले समय में मिसाल के रूप में भी याद किया जाएगा। मां बोली, खोवा और चूरमा है बनाकर दूंगी
दुष्यंत की मां ने भावुक होते हुए बताया कि उसके दो बेटे हैं और दोनों ही सेना में है। एक जम्मू में है और दूसरा दुष्यंत पुणा गेम्स से। दुष्यंत चूंकि लाइट वेट में नौकायन करता है। इसलिए खाने पीने का इस हद तक ध्यान रखना पड़ता है कि कही वजन ना बढ़ जाए। घर में सभी कुछ होने के बावजूद भी जब उसे खाने के लिए रोकना पड़ता है तो मन भी दु:खी होता है। हां, इसे यह जरूर कहा था कि जब वापिस आएगा तो खोवा और चूरमा दोनों बनाकर दूंगी। यह उसकी खास पसंद भी है। बॉक्स : नौकायन से हुए जुड़ाव को लेकर मां का कहना था कि जब रूड़की पहली दफा सेना में 2011 में गया था तो उसका मन नहीं लगा। गांव के ही एक अन्य साथी की सलाह पर वह नौकायन में शामिल हुआ। जब बेहतर प्रदर्शन हुआ तो मेडल भी खूब आए। जिसके बाद रूड़की से पुणा जाना हुआ। उस दौरान कोच ने परिवार से वादा लिया था कि बेहतर कर रहे इस बेटे का उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं तो इसे घर जल्दी आने और शादी जल्दी करने की जिद्द नहीं करना। बस वहीं सिलसिला चल निकला है। अप्रैल के बाद से अभी तक घर नहीं आया है। इतनी तबीयत खराब होने के बाद मन भी डरता है। लेकिन अब वह भी जिद्द करने लगा है। शादी नहीं करने की बात पर कहता है कि ओलंपिक खेलने के बाद ही करूंगा। जबकि मेरा कहना रहता है कि यह गेम तो हर दो या तीन साल में आते ही रहेंगे। बॉक्स : दुष्यंत के पिता जगत ¨सह उर्फ मटरू, जो कि किसान और पशुपालक है। आशा चौहान का कहना है कि भैंसों का दूध बेचते नहीं है। सिर्फ बच्चों के लिए घी या अन्य सामान में ही इस्तेमाल में लाते है। परिवार की सोच है कि अगर बच्चें अच्छा खाएंगे ही नहीं तो अच्छा खेलेंगे कैसे। सवा 6 फुट का दुष्यंत, गेम के कारण तो बढि़या ढंग से खा भी नहंी पाता। जिसका हमेशा मलाल रहता है। मुख्यमंत्री और खेल मंत्री ने दुष्यंत की जीत को सराहा
विषम परिस्थितियों में देश के लिए मेडल लाते हुए दिन की बेहतर शुरुआत कराने वाले दुष्यंत चौहान दिन भर ट्वीटर पर भी खूब ट्रेंड करते रहें। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, खेल मंत्री राज्य वर्धन ¨सह राठौड़ ने दुष्यंत की जीत को वास्तविक जीत करार दिया है। गौरतलब है कि भारतीय रोअर दुष्यंत चौहान के कभी हार नहीं मानने के रवैये ने 18 वें एशियाई खेलों में छठे दिन शुक्रवार को भारत की झोली में कांस्य पदक देकर अच्छी शुरुआत दी है। दुष्यंत ने इस स्पर्धा को समाप्त करने में 7 मिनट और 18.76 सेकेंड का समय लगाते हुए कांस्य पर निशाना साधा। इससे पहले दुष्यंत ने 2014 में भी एशियाई खेलों में इसी स्पर्धा में भारत को कांस्य पदक दिलाया था। हालांकि, वे इस दफा पिछले खेल से बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे है। 2012 में सेना में अपने नौकायन की यात्रा को शुरू करने वाले दुष्यंत सीनियर नेशनल रोइंग चैंपियनशिप 2017, एशियाई इंडोर रोइंग चैंपियनशिप 2015 सहित अन्य स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक सहित कई पदक जीत चुके हैं। देश के लिए पदक लाने वाले युवा खिलाड़ी के जज्बे की बात हो तो वह कांस्य पदक जीतने के लिए उच्च रक्तचाप से जूझ रहे थे। तबीयत खराब होने के कारण फिनिश लाइन पर गिर जाने की वजह से वह पदक समारोह के दौरान मंच पर ठीक ढंग से भी खड़े नहीं हो सके। जिसके कारण अस्पताल में उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा। गेम के दौरान उनकी तबीयत के इस पहलू का जिसे भी पता चल रहा है। वह उनकी जीत का दिल से सम्मान कर रहा है और विषय को भी खूब साझा किया जा रहा है।