किसानों को सता रही बाजरा बिकने की चिता, घरों में रखा बाजरा
जागरण संवाददाता झज्जर बाजरा खरीद शुरू हुए एक माह से ऊपर का समय बीत चुका है लेकिन
जागरण संवाददाता, झज्जर : बाजरा खरीद शुरू हुए एक माह से ऊपर का समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी किसानों को बाजरा बेचने की चिता सता रही है। यह समस्या बड़े किसानों को अधिक झेलनी पड़ रही है। जिनका बाजरा 40 क्विंटल से अधिक बिकना था। उनका अभी तक अधिकतर बाजरा घर में ही रखा हुआ है। डेढ़-दो माह से घरों में रखे बाजरे के कारण किसानों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाजरा सरकारी दामों पर बिकने की मांग को लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा।
इधर, बाजरे की खरीद चल रही है, लेकिन उठान काफी धीमा है। फिलहाल जिले की नौ मंडियों में बाजरा खरीदा जा रहा है। लेकिन अधिकतर मंडियां बाजरे से अटी हैं। यहां तक कि हर रोज आने वाला नया बाजरा डालने के लिए भी अधिक स्थान नहीं मिल पा रहा। साथ ही आढ़तियों को मंडी में खुले आसमान के नीचे रखे बाजरे को लेकर चिता सताने लगी है। हर रोज मंडी में घूमते बेसहारा पशु बाजरे में मुंह मारते रहते हैं। वहीं सबसे बड़ा खतरा मौसम से है। अगर बरसात होती है तो लाखों-करोंड़ों रुपये का बाजरा बरसात में भीगकर खराब हो जाएगा। इसलिए आढ़ती भी उठान तेज करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन स्थिति बिल्कुल उल्टी दिखाई दे रही है। मां सुदेश देवी के नाम से बाजरे का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ था। मेरा 183 क्विंटल बाजरा भी पास हुआ। लेकिन अभी तक केवल 40 क्विंटल बाजरा ही बिका है, वह भी 29 नवंबर को। जबकि बकाया बाजरा पिछले करीब दो माह से घर पर ही रख हुआ है। बाजरा सरकारी दाम पर बेचने की मांग को लेकर उन्होंने सीएम विडो में भी शिकायत दी, ताकि बाजरे की खरीद हो सके। अब बाहर भी बाजरा नहीं बेच सकता। अगर सरकार दाम पर बाजरा नहीं बिका तो लाखों रुपये का घाटा झेलना पड़ेगा।
अमन, गांव रायपुर।
बाजरे का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था और मेरा 100 क्विंटल बाजरा पास हुआ। लेकिन अभी तक 30 नवंबर को 40 क्विंटल बाजरा ही खरीदा है। बकाया बाजरा घर पर ही रखा हुआ है। बाजरे की खरीद करने की मांग को लेकर दो बार अधिकारियों से मिलकर शिकायत भी दे चुका हूं। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। अगर अब सरकारी खरीद बंद हो गई तो इस बाजरे का क्या करेंगे। सरकारी कीमत पर बाजरा नहीं बिका तो काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
जसबीर, गांव रायपुर। बाजरे का उठान काफी धीमा चल रहा है। इसलिए मंडियां भी बाजरे से अटी पड़ी है। उठान तेज करने के लिए कई दफा कहा गया है। लेकिन समय पर आढ़तियों को उठान के लिए ट्रक नहीं मिल रहे। वहीं खुले आसमान के नीचे पड़ा बाजरा आढ़तियों के लिए चिता का कारण बना हुआ है।
सतबीर सिंह मल्हान, प्रधान, आढ़ती एसोसिएशन, झज्जर।