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तंत्र के गण : शिक्षा : स्वभाविक क्रियाकलापों से जोड़ विज्ञान के फार्मूलों में बच्चों की हो रही दिलचस्पी

-माछरोली स्कूल में विज्ञान संकाय आने के चार साल में चार गुना बढ़े बच्चे

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 06:31 PM (IST)
तंत्र के गण : शिक्षा : स्वभाविक क्रियाकलापों से जोड़ विज्ञान के फार्मूलों में बच्चों की हो रही दिलचस्पी
तंत्र के गण : शिक्षा : स्वभाविक क्रियाकलापों से जोड़ विज्ञान के फार्मूलों में बच्चों की हो रही दिलचस्पी

संवाद सूत्र,माछरोली : विज्ञान के कठिन फार्मूलों को भी स्वभाविक व दिनचर्या के क्रियाकलापों से जोड़कर विद्यार्थियों की दिलचस्पी विज्ञान के प्रति बढ़ाई जा रही है। विद्यार्थियों के लिए सबसे मुश्किल विषय माने जाने वाले विज्ञान संकाय को भी आसानी से याद करवाने के लिए ही मेहनत की जा रही है। माछरोली सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अध्यापक भूप सिंह ने बताया कि वे बच्चों को जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं व क्रियाकलापों से जोड़कर विज्ञान को समझाते हैं। ताकि बच्चों को ये सभी बातें हमेशा याद रहें और उन्हें विज्ञान मुश्किल भी न लगे। इसका बच्चों पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है।

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उन्होंने बताया कि वे केमेस्ट्री संबंधित विषय के पाठ्यक्रम को दिनचर्या में किए जाने वाले कामों से जोड़कर बच्चों को पढ़ाते हैं। जिससे बच्चों को अच्छे से याद होता है और समझ में भी आसानी से आ जाता है। जैसे विद्यार्थियों से पूछा कि सब्जियों में नमक क्यों डाला जाता है। बच्चों का जवाब था कि स्वाद के लिए। जिस पर उन्हें समझाया कि पानी 100 डिग्री पर जाकर भाप बन जाता है और सब्जियों को गलाने के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।उसमें नमक इसलिए डाला जाता है कि सब्जियां आसानी से गल जाएं और पानी भाप बनकर न उड़े।

वहीं दूसरे उदाहरण में गर्मियों में तापमान अधिक होने पर भी कुल्फी आदि एकदम ठंडी होती है। कुल्फी विक्रेता उसके बाहर पानी व नमक डालता है, ताकि अंदर रखी कुल्फी ठंडी रहें। ऐसे उदाहरणों से बच्चों को पढ़ाया जाता है। माछरोली स्कूल में पढ़े हुए बच्चों का सुपर 100 में भी चयन हुआ है। भूपसिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में जब वे आए तो उस समय माछरोली स्कूल में केवल आठ विद्यार्थी थे। अब बारहवीं कक्षा में 21 व ग्यारहवीं में 35 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। पिछले चार सालों के दौरान ग्यारहवीं कक्षा के करीब चार गुना से अधिक विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। साथ ही ग्यारहवीं में पढ़ने वाले करीब 20 विद्यार्थी तो प्राइवेट स्कूलों से ही आए हैं। माछरोली ही नहीं आसपास के करीब दर्जनभर गांवों से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। बाक्स :

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल पढ़ाना ही नहीं, उन्हें हमेशा याद रहे, ऐसा पढ़ाना लक्ष्य रहता है। उनके पढ़ाए बच्चे इंजीनियर, डाक्टर व प्रशासनिक सहित अन्य बड़े पदों पर हैं, जो उनको हमेशा याद करते हैं। इसलिए वे विद्यार्थियों को अपने बच्चों से भी बढ़कर पढ़ाते हैं। जिसके कारण बच्चों का भी अलग ही लगाव हो जाता है। भूप सिंह ने बताया कि वे करीब 23 वर्षों से पढ़ा रहे हैं। पहले उन्होंने राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय झज्जर में करीब छह वर्ष पढ़ाया, इसके बाद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय झज्जर में करीब 10 से अधिक साल तक पढ़ाया। वहीं बाद में उनका तबादला किरड़ोद के स्कूल में कर दिया। वहीं अब माछरोली के स्कूल में बच्चों को केमेस्ट्री पढ़ा रहे हैं।


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