अभिभावकों संग उत्साहित होकर स्कूल पहुंचे बच्चे, पहले दिन संख्या रही कम
- करीब एक साल बाद फिर पहली से बारहवीं कक्षाएं एक साथ लगी स्कूल में
- करीब एक साल बाद फिर पहली से बारहवीं कक्षाएं एक साथ लगी स्कूल में फोटो : 1 जेएचआर 3 तथा 4 जागरण संवाददाता,झज्जर :
सोमवार को करीब एक साल बाद पहली से बारहवीं की कक्षाएं एक साथ स्कूलों में लगी। कोरोना महामारी से जूझते हुए सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों ने स्कूलों में आकर पढ़ना आरंभ कर दिया है। ताकि उनकी पढ़ाई बाधित ना हो। शिक्षा विभाग ने सोमवार को पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को भी स्कूल में बुलाना आरंभ कर दिया है। पहले दिन विद्यार्थी उत्साह के साथ स्कूलों में पहुंचे। अभिभावक भी अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए आए। स्कूल पहुंचकर बच्चे काफी खुश नजर आ रहे थे। क्योंकि लंबे समय बाद बच्चे स्कूल पहुंचे हैं। इसकी खुशी बच्चों के चेहरों पर दिखाई दी। लेकिन विद्यार्थियों संख्या काफी कम रही। पहले दिन पहली व दूसरी कक्षा में करीब 10-15 फीसद ही विद्यार्थी स्कूल पहुंचे।
- बता दें कि कोरोना महामारी के चलते मार्च 2020 में ही स्कूल बंद कर दिए थे। इसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाना आरंभ कर दिया। शिक्षा विभाग बच्चों को घर पर रहते हुए शिक्षा से जोड़े रखना चाहता था। इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया। इससे विद्यार्थियों को परेशानी भी हुई। वहीं करीब पांच-छह माह पहले स्कूल खोलने का सिलसिला आरंभ हुआ। पहले नौवीं से बारहवीं कक्षा के स्कूलों क ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खोला गया। लेकिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के कारण फिर से स्कूल बंद करने पड़े। इसके बाद पहले दसवीं व बारहवीं कक्षा के लिए स्कूल खोले। उसके बाद नौवीं व ग्यारहवीं के लिए। वहीं बाद में छठी से आठवीं के विद्यार्थियों की स्कूलों में पढ़ाई आरंभ कर दी। अब 24 फरवरी को तीसरी से पांचवीं कक्षा व एक मार्च से पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूलों में बुलाना आरंभ कर दिया है। अब स्कूलों में सुबह 10 बजे से डेढ़ बजे तक कक्षाएं लग रही है। साथ ही सभी को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उचित सावधानी बरतने के लिए निर्देश भी दिए गए है। बॉक्स :
शिक्षा विभाग ने तीसरी से पांचवीं की कक्षा स्कूलों में 24 फरवरी से लगानी आरंभ कर दी थी। इसके बाद ही पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के अभिभावक स्कूलों में पहुंचने लगे थे। अभिभावक यही पूछते थे, कि पहली व दूसरी की कक्षाएं कब से लगेंगी। इसके जब एक मार्च से कक्षाएं लगनी आरंभ हुई तो अभिभावक स्वयं बच्चों को स्कूलों तक भी छोड़ने के लिए आए।