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कृषि कानूनों की तर्ज पर एनपीएस को वापस ले केंद्र सरकार : गुलिया

हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन की जिला कमेटी की ओर से मोहित गुलिया सूर्या देव कविता रानी रवि कुमार जगबीर सहरावत प्रदीप बादली ने कृषि कानून वापिस लेने को एतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि इसी तरह भारत के 80 लाख कर्मियों के हितों को देखते हुए नई पेंशन स्कीम को भी तुरंत बंद करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 05:23 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 05:23 PM (IST)
कृषि कानूनों की तर्ज पर एनपीएस को वापस ले केंद्र सरकार : गुलिया

जागरण संवाददाता, झज्जर : हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन की जिला कमेटी की ओर से मोहित गुलिया, सूर्या देव, कविता रानी, रवि कुमार, जगबीर सहरावत, प्रदीप बादली ने कृषि कानून वापस लेने को एतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि इसी तरह भारत के 80 लाख कर्मियों के हितों को देखते हुए नई पेंशन स्कीम को भी तुरंत बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का जमा पैसा मल्टीनेशनल कम्पनियों में जबरदस्ती लगाया जा रहा है। जिसका प्रत्येक राज्य में विरोध हो रहा है और रिटायर होने पर कर्मचारी फिर से बेरोजगार हो रहे हैं क्योंकि न्यू पेंशन स्कीम के तहत मात्र दो हजार के बीच पेंशन बन रही है जो किसी भी तरह से कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक देश एक विधान की बात करते हैं तो एक देश एक पेंशन पर भी विचार करना चाहिए। सरकारी कर्मचारी नई पेंशन स्कीम के तहत पेंशन लेते हैं वहीं विधायक सांसद पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन ले रहे हैं। जब एक देश एक विधान हो सकता है तो एक देश एक पेंशन क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल आज भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे रहा है तो बाकि राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तत्काल इस बारे निर्णय लें और कृषि कानूनों की तरह एनपीएस को रद कर पुरानी पेंशन बहाल करें। कर्मचारियों को वर्षों सेवाएं देने के बाद पेंशन से वंचित रखना न्याय संगत नहीं है। नई पेंशन प्रणाली के तहत सेवा निवृत कर्मचारी अपने आपको को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। सेवा निवृति के बाद मात्र पेंशन का ही सहारा होता है, उसे छीनना गलत है।

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