बाढ़सा एम्स में ब्लड बैंक की शुरुआत, नि:शुल्क मिलेगा रक्त, कैंसर के मरीजों को होगा लाभ
संवाद सूत्र बादली बाढ़सा स्थित एम्स में ब्लड बैंक की शुरुआत होने से यहां पर भर्ती होने कैंस
संवाद सूत्र, बादली : बाढ़सा स्थित एम्स में ब्लड बैंक की शुरुआत होने से यहां पर भर्ती होने कैंसर के मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान एनसीआई में डा. दीप्ति रंजन राउत, सहायक प्रोफेसर ने ब्लड बैंक की शुरुआत के दौरान निरीक्षण करते हुए कहा कि रोश डायग्नोस्टिक्स ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से होने वाले संक्रमणों, हेपेटाइटिस, एचआईवी आदि के बोझ को कम करने के लिए खून की जांच के बेहतर मानकों को अपनाने की अहमियत पर विशेष कार्य किया है। ब्लडबैंक में पीसीआर एनएटी(न्यूक्लिक एसिड टेस्टिग) तकनीक के इस्तेमाल को दिखाने के लिए राष्ट्रीय कैंसर संस्थान - झज्जर में एक प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन किया। बता दें कि एनसीआई झज्जर हरियाणा राज्य का पहला और अब तक का इकलौता ऐसा सरकारी ब्लड बैंक है, जिसने नेट तकनीक को अपनाया है। यह तकनीक ट्रांसफ्यूजन की जरूरत वाले लोगों को सर्वोत्तम सुरक्षा प्रदान करती है। बता दें कि इस तकनीक के जरिए शुरुआत में ही एचआईवी/एचसीवी/एचबीवी जैसे संक्रमण फैलाने वाले एजेंटों का पता लगाया जाता है। जिसकी मदद से रक्त की अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा मरीजों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने में मदद मिलती है।'' डा. दीप्ति रंजन ने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर संस्थान-भारत (एनसीआई-इंडिया) का झज्जर परिसर एक प्रमुख कैंसर अनुसंधान केंद्र है, जो क्षेत्रीय कैंसर संस्थानों के साथ-साथ देश और दुनिया में मौजूद अन्य कैंसर केंद्रों/ संस्थानों से सम्बद्ध है और यह देश में कैंसर से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए एक नोडल संस्थान के रूप में काम करता है। अमेरिका, फ्रांस, यूके आदि जैसे विभिन्न देशों ने एनसीआइ के साथ शोध कार्यों में सहयोग किया है। क्योंकि, कैंसर के मरीजों को सबसे बेहतर इलाज और देखभाल सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से एनसीआई की स्थापना की गई थी। इसलिए, संस्थान की ओर से अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले रक्त की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम विधियों का उपयोग हो रहा है। असरदार नेट तकनीक से होगी रक्त की जांच
इस अवसर पर नरेंद्र वर्दे, मैनेजिग डायरेक्टर, रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया, नेबरिग मार्केट्स, ने कहा, ''सुरक्षित रक्त की गारंटी हर मरीज का और हर दाता का अधिकार है। इसके अलावा, खून की जांच तो डायग्नोसिस का सबसे अहम हिस्सा है। आज, नेट खून की जांच का सबसे अच्छा तरीका है, जो बेहद कारगर होने की वजह से पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। हम न केवल स्वैच्छिक रक्तदान के बारे में, बल्कि रक्त की सुरक्षा की जरूरत के बारे में भी जागरूकता फैलाना चाहते हैं।'' वर्तमान में, सीरोलाजिकल टेस्टिग के जरिए एचआईवी/एचसीवी/एचबीवी के लिए खून की जांच की जाती है, जिसमें एंटीबाडी/एंटीजन पर गौर किया जाता है। हालांकि, नेट तकनीक वायरस के डीएनए/आरएनए का पता लगाती है। किसी व्यक्ति के संक्रमित होने और जांच के जरिए उसके शरीर में एंटीबाडी/एंटीजन की मौजूदगी का पता चलने के बीच की अवधि, यानी संक्रमण काल की अवधि 20 से 80 दिनों की होती है। नेट तकनीक से जांच किए जाने पर यह अवधि काफी हद तक कम (3 से 20 दिन) हो जाती है, जिसका मतलब है कि नेट परीक्षण के माध्यम से ट्रांसफ्यूजन कराने वाले मरीज को संक्रमित रक्त मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है, लिहाजा यह तकनीक बेहद असरदार है।