सावन को जायकेदार बना रहे बहादुरगढ़ के पकौड़े
घेवर तो सावन की मिठाई होती ही है मगर जब बारिश की झड़ी लगती है और माहौल को जायकेदार बनाना हो तो फिर बहादुरगढ़ के पकौड़े याद आते हैं। इन दिनों इसकी डिमांड बढ़ भी गई है। आम दिनों के मुकाबले इस समय तीन गुना मांग है। पिछले कई दिनों से चल रहे बारिश के दौर के बीच तो लोग पकौड़ों को हाथों-हाथ ले रहे हैं। कोरोना की वजह से इस बार सावधानी तो है मगर पकौड़ों का स्वाद हर किसी को खींच रहा है। यहां के पकौड़ों का स्वाद किसी परिचय का मोहताज है नहीं। शायद ही ऐसा कोई राजनेता या अभिनेता हो जो बहादुर
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : घेवर तो सावन की मिठाई होती ही है, मगर जब बारिश की झड़ी लगती है और माहौल को जायकेदार बनाना हो तो फिर लोगों को बहादुरगढ़ के पकौड़े याद आते हैं। इन दिनों लोगों में पकौड़ों की डिमांड बढ़ भी गई है। आम दिनों के मुकाबले इस समय तीन गुना ज्यादा मांग है। पिछले कई दिनों से चल रहे बारिश के दौर के बीच तो लोग पकौड़ों को हाथों-हाथ ले रहे हैं। कोरोना की वजह से इस बार सावधानी तो है, मगर पकौड़ों का स्वाद हर किसी को खींच रहा है। यहां के पकौड़ों का स्वाद किसी परिचय का मोहताज नहीं है। शायद ही ऐसा कोई राजनेता या अभिनेता हो, जो बहादुरगढ़ से कभी गुजरा हो और यहां के पकौड़ों का स्वाद न चखा हो। कई दशक पुराना है स्वाद
बहादुरगढ़ के पकौड़ों का स्वाद पांच दशक से ज्यादा पुराना है। वर्ष 1950 से गंगाराम शर्मा के पकौड़े बन रहे हैं। इसी तरह बिल्लु और बिल्ले के पकौड़े भी कई दशक पुराने हैं। इसलिए शहर के मुख्य चौक को पकौड़ा चौक के नाम से भी जाना जाता है। उक्त तीनों की दुकानें यही पर स्थित हैं। इन दिनों सुबह से रात तक यहां पर भीड़ देखी जा सकती है। वजैन्::::::::::
इस समय कोरोना का असर है। फिर भी चिलचिलाती गर्मी के मौसम की अपेक्षा इस समय पकौड़ों की बढ़ी डिमांड का असर यह है कि सभी को मिलाकर 400 किलो से ज्यादा पकौड़े बिक रहे हैं।
-संजय शर्मा, संचालक, गंगाराम पकौड़े, बहादुरगढ़।