22 जून को आरक्षण के बाद तैयार होगी परिषद के चेयरमेन पद की डगर
- शहर में चल रही होर्डिंग्स वार होगी पहले से तेज - लंबे समय से हो रहा ड्रा का इंतजार
- शहर में चल रही होर्डिंग्स वार होगी पहले से तेज
- लंबे समय से हो रहा ड्रा का इंतजार, सामने आएंगे चेयरमेन पद के दावेदार
- पार्टी के चुनाव चिह्न पर हुआ चुनाव तो बनेगा रोमांच जागरण संवाददाता, झज्जर :
लाकडाउन से पूरी तरह अनलाक होने का समय नजदीक आ रहा हैं। 22 जून को नपा के आरक्षण को लेकर ड्रा होना है। गतिविधियों के बढ़ने से अहसास होता है कि कोरोना की दूसरी लहर का अंत नजदीक है। इधर, होने वाले इस ड्रा से स्पष्ट हो जाएगा कि परिषद के चेयरमेन की डगर किस दिशा में बढ़ेगी। कारण कि पिछले दिनों क्षेत्र में चेयरमेन पद के काफी दावेदार सामने आए हैं। शानदार ढंग से होर्डिंग वार भी चल रही है। राजनीतिक पार्टियों के स्तर पर भी अभी तय होना है कि चुनाव कैसे लड़े जाएंगे। कुल मिलाकर, बहुत से चेहरे तो ऐसे भी हैं जो कि सिर्फ ड्रा होने का इंतजार कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में अगर सामान्य श्रेणी में चेयरमैन का पद आया तो बड़े स्तर पर दावेदारों की भीड़ देखने को मिल सकती है। जो कि परिषद की राजनीतिक में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के रोमांच को बढ़ाने का काम करेगी। बॉक्स :
दरअसल, परिषद का पहला चुनाव राजनीतिक पार्टियां अपने चुनाव चिह्न पर लड़ेंगी या नहीं इससे पहले इस बात की उत्सुकता बनी हुई है। साथ ही परिषद का पहला चेयरमैन किस कैटेगरी का होगा, यह भी मूल चर्चा का विषय है। दूसरी ओर, वार्डबंदी के बाद भी वार्डों की संख्या नहीं बढ़ाई गई हैं। फिलहाल, झज्जर स्थानीय निकाय में चेयरमैन की सीट जनरल कैटेगरी की है। वर्ष 2000 में महिला चेयरपर्सन के रूप में सीट घोषित हुई थी, तब उषा बंसल पहली चेयरपर्सन बनीं थी। 2005 में चेयरमेन शिप बीसी कैटेगरी में चली गई और कमला जांगड़ा चेयरपर्सन बनीं। 2009 बीसी सीट पर ही कलावती गुर्जर बनीं। बाद में वर्ष 2016 में फिर ये सीट महिला जनरल को दी गई। जिस पर मौजूदा चेयरपर्सन कविता नंदवानी हैं। स्थानीय निकाय झज्जर का इतिहास देखें तो चेयरमैन और चेयरपर्सन सीट पर सबसे ज्यादा लाभ जनरल कैटेगरी को मिला है। मैदान में दम दिखाने को उत्सुक दावेदार :
हालांकि, परिषद का चुनाव आरक्षण के बाद ही तय होना है। लेकिन, सीट जनरल कैटेगरी की झोली में जाए इसके लिए राजनीतिक उठापटक भी शुरू हो गई है। इनमें वैश्य, जाट, पंजाबी, और ब्राह्मण समाज से जुड़े नेता अपने अपने प्रभाव का इस्तेमाल राजनीतिक रसूखदार लोगों से कर रहे हैं। जनरल चेयरमैन की सीट के लिए वे पुरुष या महिला जनरल के लिए भी तैयार है। ताकि, चुनाव के समय किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो। इधर, आरक्षण सामान्य श्रेणी की जगह अन्य किसी वर्ग में हुआ तो दावेदारों की संख्या में कमी हो जाएगी। लेकिन, रोमांच वैसा ही बना रहेगा। जैसा कि माहौल को देखकर प्रतीत हो रहा है। इंटरनेट मीडिया पर भी खूब प्रचार चल रहा है। लोग चुनाव को मद्देनजर रखते हुए माहौल बनाने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर, 22 जून की तिथि तय हो जाने के बाद चुनाव का काउंटडाउन भी शुरु हो गया है।