..एक मोटा हाथी झूम के चला मकड़ी के जाले में फंसा, दूसरे हाथी को इशारे से बुलाया
- आंनगबाड़ी वर्करों को दी दूसरे दिन बचों की पढ़ाई के साथ विकास विकास पर दिया जोर
जागरण संवाददाता, झज्जर :
..एक मोटा हाथी झूम के चला मकड़ी के जाले में फंसा, दूसरे हाथी को इशारे से बुलाया इधर आ, इधर आ। आदि कविताओं के माध्यम से प्ले स्कूल के बच्चों को पढ़ाई करवाने की आंगनबाड़ी वर्करों को ट्रेनिग दी जा रही है। सोमवार से शुरू हुई ट्रेनिग में दूसरे दिन आंगनबाड़ी वर्करों को बच्चों के विकास संबंधित जानकारी दी गई। ताकि प्ले स्कूल में आने वाले बच्चों को आसानी से पढ़ाई करवा पाएं। साथ ही बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई करें। इसलिए दस दिन की फालोअप ट्रेनिग का आयोजन किया गया है। जिसमें जिले की सभी आंगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों को ट्रेनिग दी जाएगी।
बता दें कि सरकार द्वारा प्रदेश के चार हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल में तब्दील किया जा रहा है। वहीं इनमें 100 आंगनबाड़ी केंद्र झज्जर जिले के हैं। इन प्ले स्कूलों का उद्देश्य बच्चों को खेलने के साथ पढ़ाई करवाना है। इसलिए पहले उन आंगनबाड़ी केंद्रों को चुना है जिनकी आंगनबाड़ी वर्कर पढ़ी-लिखी है और खुद के भवन में चल रहा है। इसके बाद अब उन आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल की तरह ही विकसित किया जा रहा है। इसलिए आंगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों को ट्रेनिग दी जा रही है। पहले भी आंगनबाड़ी वर्करों को ट्रेनिग दी गई थी। अब फोलोअप ट्रेनिग का उद्देश्य भी यही है कि पहले दी गई ट्रेनिग उन्हें याद रहे। 17 जनवरी से आरंभ हुई ट्रेनिग 28 जनवरी तक जारी रहेगी। आंगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सर्कल स्तर पर ही ट्रेनिग दी जा रही है। ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े।
डीघल की सीडीपीओ सविता ने कहा कि सभी आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर ट्रेनिग में जो सिखाया जाता है, उन्हें अच्छे से सीखें। ताकि प्ले स्कूल में आने वाले बच्चों की पढ़ाई करवाने में कोई दिक्कत ना हो। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए प्ले स्कूल बनाए जा रहे हैं। प्ले स्कूल को अच्छे से चलाने में आंगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों की मुख्य भूमिका रहेगी। इसलिए सभी ट्रेनिग में भाग लें। जिससे कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ नया जरूर सीखने को मिलें।