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रावमावि माडल संस्कृति स्कूल की 68 साल पुरानी इमारत, कमरे बने हवा महल, ठंड में ठिठुर रहे बच्चे

कोरोना काल के चलते स्कूली छात्रों की छुट्टियां चल रही हैं। स्कूलों को शिक्षण कार्य के लिए दोबारा से खोला जाता है तो छात्रों को सर्दी की ठिठुरन की मार झेलते हुए शिक्षण कार्य निपटाना पड़ेगा। हालांकि स्कूल प्रशासन द्वारा समय-समय पर इस ईमारत की मुरम्मत की जाती है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 09:51 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 09:51 AM (IST)
रावमावि माडल संस्कृति स्कूल की 68 साल पुरानी इमारत, कमरे बने हवा महल, ठंड में ठिठुर रहे बच्चे
स्कूल में करीब 768 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

राजेश कादियान, बवानीखेड़ा। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माडल संस्कृति स्कूल की पुरानी ईमारत का निर्माण हुए लगभग 68 वर्ष का अरसा बीत चुका है। हालत ये है कि इस ईमारत की अधिकतर खिड़कियां टूट कर बिल्कुल खराब हो चुकी हैं और कुछ खिड़कियां तो अपना अस्तित्व ही खो चुकी हैं। खिड़कियों के बीना स्कूल के करीब 20 कमरे हवा महल बने हुए हैं। इससे छात्रों को सर्दी व गर्मी के मौसम में सर्द व गर्म हवा की मार झेलनी पड़ती है। इससे छात्रों के स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।

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स्मार्ट कक्षा बनाने के आदेश जारी

जानकारी के मुताबिक राजकीय माडल संस्कृति स्कूल की पुरानी ईमारत के 20 कक्षा कक्ष की करीब 55 खिड़कियां बिल्कुल टूट चुकी हैं। खिड़कियों के नाम पर केवल लोहे की जाली ही नजर आ रही है। कहने को तो शिक्षा विभाग ने इस स्कूल को माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा दिया हुआ है। लेकिन पुरानी ईमारत समय की मार झेलते हुए जर्जर व बिना खिड़कियों की हो चुकी है। बताया गया है कि इस ईमारत का निर्माण वर्ष 1954 में करवाया गया था। माडल संस्कृति स्कूल में स्मार्ट कक्षाएं आरंभ हैं। शिक्षा विभाग ने हाल ही में पांच और स्मार्ट कक्षा कक्ष बनाने के स्कूल प्रशासन को निर्देश जारी किए हैं। स्मार्ट कक्षा कक्षों के निर्माण के लिए सामग्री भी पहुंच चुकी है। स्कूल में करीब 768 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

चोरी की घटनाओं का अंदेशा बढ़ा

कोरोना काल के चलते स्कूली छात्रों की छुट्टियां चल रही हैं। अगर निकट भविष्य में स्कूलों को शिक्षण कार्य के लिए दोबारा से खोला जाता है तो छात्रों को सर्दी की ठिठुरन की मार झेलते हुए शिक्षण कार्य निपटाना पड़ेगा। हालांकि स्कूल प्रशासन द्वारा समय-समय पर इस ईमारत की मुरम्मत की जाती है। छतों की भी मुरम्मत की गई है। साथ-साथ कई टूटे दरवाजों की जगह नए दरवाजे लगाए गए हैं। लेकिन विभिन्न कक्षा कक्षों की 55 खिड़कियां बिल्कुल टूट चुकी हैं। खिड़कियों की जगह केवल खुली जाली ही नजर आ रही है। बिना खिड़की के कक्षा कक्षों में चोरी होने की घटनाओं का अंदेशा भी बढ़ जाता है।

स्कूल के पास नहीं पर्याप्त फंड

राजकीय माडल संस्कृति स्कूल प्रधानाचार्या संतोष भाकर ने बताया कि स्कूल की एक ईमारत काफी पुरानी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि करीब 55 खिड़कियां टूट कर अलग हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि नई खिड़कियां लगाने के लिए स्कूल के पास पर्याप्त फंड नहीं है। हालांकि इस बारे में एसएमसी की बैठक में प्रस्ताव पारित करवा उच्च अधिकारियों के पास भेजा गया है ताकि विभाग इस बारे में जल्द ही बजट का प्रावधान करे ताकि नई खिड़कियों का प्रबंध किया जा सके।


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