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World Tourism Day: भिवानी पर्यटन केंद्र बने तो हड़प्पाकालीन सभ्यता के होंगे जीवंत दर्शन, विकास कार्यों को मिलेगी नई गति

भिवानी धरोहरों का खजाना भी संजोए है कि इनको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो इस क्षेत्र को विकास के पंख लग जाएंगे। हड़प्पाकालीन तिगड़ाना खेड़े को सरकार मार्च माह में हुए बजट सत्र के दौरान अपने संरक्षण में लेने की बात कह चुकी है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 02:49 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 02:49 PM (IST)
World Tourism Day: भिवानी पर्यटन केंद्र बने तो हड़प्पाकालीन सभ्यता के होंगे जीवंत दर्शन, विकास कार्यों को मिलेगी नई गति
तिगड़ाना का यह खेड़ा हड़प्पाकालीन और महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा रहा

सुरेश मेहरा, भिवानी। छोटी काशी और मिनी क्यूबा भिवानी खेलों में देश और दुनिया में पहचान बना चुका है। यह ऐसी धरोहरों का खजाना भी संजोए है कि इनको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो इस क्षेत्र को विकास के पंख लग जाएंगे। धरोहरों को लेकर विशेष कर हड़प्पाकालीन तिगड़ाना खेड़े को सरकार मार्च माह में हुए बजट सत्र के दौरान अपने संरक्षण में लेने की बात कह चुकी है। तिगड़ाना खेड़े को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने का अवसर मिला तो यह पर्यटकों को हड़प्पाकालीन सभ्यता से रूबरू कराएगा। पुरानी सभ्यता को संजोने इस खेड़े को म्यूजियम के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। बवानीखेड़ा के विधायक बिशंभर वाल्मीकि इसके लिए पहले ही प्रयासरत हैं।

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तिगड़ाना का यह खेड़ा हड़प्पाकालीन और महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा रहा है। पिछले साल 25 जनवरी से 16 मार्च तक तिगड़ाना के खेड़े में पुरातत्व विभाग ने खोदाई की थी। इसमें हड़प्पाकालीन सभ्यता से जुड़े पांच हजार साल पुराना मटका, हड़प्पाकालीन मकान का ढांचा आदि के अलावा उस काल की मिट्टी की चूड़ी व खिलौने मिले थे। महेंद्रगढ़ में मौजूद केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली के पुरातत्व विभाग अध्यक्ष एवं पुरातात्विक शोध परियोजना तिगड़ाना के निदेशक रहे डा. नरेंद्र परमार की अगवाई में खोदाई कार्य हुआ था।

पुरातत्व विभाग का केंद्र रहा है तिगड़ाना खेड़ा

तिगड़ाना खेड़ा पुरातत्व विभाग का केंद्र रहा है। यहां वर्ष 2020 के अलावा 2016 में भी खोदाई कार्य कराया गया था। भिवानी में गांव मिताथल भी हडप्पाकालीन साइट है। यहां पर वर्ष 1968, वर्ष 2012 में खोदाई कार्य हुआ था जिसमें हड़प्पाकालीन सभ्यता के मकान और रसोई, सिलबट्टा, हारा और चूल्हा भी मिले थे। जिले के ही गांव नौरंगाबाद में वर्ष 2001 मेंं खोदाई हुई थी तो यहां कुषाण व योद्धा कालीन गणराज्य के सिक्के मिले थे।

तिगड़ाना खेड़ा ऐसे पहुंचें 

तिगड़ाना खेड़ा भिवानी से जींद रोड पर नौ किलोमीटर दूरी पर है। नौ किलोमीटर पर बाई तरफ मंढाणा रोड पर करीब दाे किलोमीटर चल कर निगाना फीडर नहर आएगी। इस नहर को पार करते ही इसके साथ लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद यहां बाई तरफ तिगड़ाना खेड़ा है। जहां तक खान-पान की सुविधा की बात है तो वह यहां से करीब तीन किलोमीटर दूर तिगड़ाना बसस्टैंड पर यह सुलभ है।

भिवानी में इनको भी बनाया जा सकता है पर्यटन स्थल 

तोशाम पहाड़ी पर बना बारहदरी किला, यहां पर पांडवों का प्रवास हुआ था।

तोशाम की मुंगीपा बाबा पहाड़ी ।

स्वतंत्रता सेनानी पंडित नेकीराम शर्मा की हवेली।

गांव देवसर धाम

नकीपुर पहाड़ी माता मंदिर

दिनोद राधा स्वामी स्टार टैंपल

लोहारू नवाब का किला

तिगड़ाना खेड़े को म्यूजियम के रूप में किया जा सकता है विकसित : परमार

तिगड़ाना खेड़े को सरकार अपने संरक्षण में लेने की बात कह चुकी है। यह खेड़ा ऐतिहासिक है। हड़प्पाकालीन सभ्यता से जुड़े अवशेष यहां पर मिल चुके हैं। प्राचीन संस्कृति को जानने ओर समझने के लिए यह खेड़ा अहम है। यहां पर म्यूजियम भी विकसित किया जा सकता है। पर्यटन स्थल के रूप में इसको विकसित किया जाए तो यह इस क्षेत्र के विकास में चार चांद लगाने वाला साबित होगा। विधायक बिशंभर वाल्मीकि भी इसके लिए प्रयासरत हैं।


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