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world disabled day 2021: हादसे में खो दिए दोनों पांव मगर पैरालिंपिक तक पहुंची हिसार की एकता भ्‍याण

हिसार के अर्बन एस्‍टेट की एकता भ्याण जिन्होंने सड़क हादसे में दोनों पांव गवां देने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और आज वो अपना नाम देश में ही नहीं बल्कि देश का नाम विदेशों में चमका रही हैं। एकता ने मिसाल पेश करते हुए पैरालिंपिक तक का सफर तय किया

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 01:28 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 01:28 PM (IST)
world disabled day 2021: हादसे में खो दिए दोनों पांव मगर पैरालिंपिक तक पहुंची हिसार की एकता भ्‍याण
दोनों पांव गंवाने के बावजूद पैरालिंपिक तक में भाग लेने वाली हिसार की एकता भ्‍याण

जागरण संवाददाता, हिसार : मंजिल तक हौसले से पहुंचा जाता है सुविधाओं से नहीं। हमारे पास कुछ नहीं होते जब हम कुछ बड़ा करते हैं तो दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं। एक ऐसा ही नाम है हिसार के अर्बन एस्‍टेट की एकता भ्याण का। जिन्होंने सड़क हादसे में दोनों पांव गवां देने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और आज वो अपना नाम देश में ही नहीं बल्कि देश का नाम विदेशों में चमका रही हैं। एकता ने मिसाल पेश करते हुए इंडोनेशिया के जर्काता में एशियन पैरा गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीता। उन्‍होंने हाल में ही हुए टोक्‍यो पैरालिंपिक में भी भाग लिया, भले ही वे पदक नहीं जीत सकी मगर वे फिर से कोशिश करने को तैयार हैं।

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वह अपने हरेक मेडल की जीत का श्रेय अपने पिता बलजीत भ्याण और कोच अमित सिरोहा को देती हैं। एकता फिलहाल हिसार के रोजगार कार्यालय में सहायक रोजगार अधिकार के पद पर हैं। 100 प्रतिशत फिजिकली चैलेंज्ड होने के बावजूद उन्होंने हौसले की मिसाल कायम की है। नौकरी के साथ-साथ ट्रैक पर भी उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी। वह बताती हैं कि इसके लिए उन्होंने रोजाना महज दो घंटे प्रैक्टिस की। ड्यूटी के बाद वह एक प्राइवेट स्कूल में रोजाना प्रैक्टिस करती हैं। एकता भ्याण के पांव काम नहीं करते।

लोग कहते थे तुम बोझ हो, बदल दी सोच

एकता ने बताया मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती मैं खुद थी। मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था। मेरा आत्मविश्वास खत्म हो चुका था। बिना व्हील चेयर के मैं कहीं भी आ जा नहीं सकती हूं। आस पास के लोग ताने मारने लगे कि मैं घर पर बोझ बन गयी हूं तो ऐसी स्थिति में आपका मानसिक सन्तुलन बनाना ही आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। इस चुनौती का सामना मुझे मेरे पापा ने कराया उन्होंने मुझे इस बात पर विश्वास दिलवाया कि मैं बोझ नहीं हूं। मुझे अपने दिल की बात सुननी चाहिए न कि लोगों की।

झेलनी पड़ती है परेशानी

एकता ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद में मेरे शरीर के नीचे के हिस्से ने काम करना बन्द कर दिया और मैं व्हील चेयर पर आ गयी। मैंने अपने आप को घर घर पर ही सीमित कर लिया था, लोगों से मिलना बन्द कर दिया था। ऐसे में कॉलेज में इतने सारे लोगों का एक साथ सामना करना मेरे लिए चुनौती थी। रैम्प ना होने की वजह से मुझे बहुत परेशानी होती थी। ये परेशानी मुझे हर जगह होती है मॉल में, थिएटर में, कॉलेज में। जबकि विदेशों में हर जगह रैम्प बनी हुई हैं। लॉ फ्लोर बसें चलती है जिससे किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती । भारत में भी ऐसे सुधार की आवश्यकता है।

लोग सवाल करते हैं क्‍यों खेलती हो, मैं कहती हूं देश के लिए

अक्सर खिलाड़ी मुझसे पूछते हैं कि तुम तो नौकरी कर रही हो फिर खेल में क्यों आईं, तो मेरा जवाब होता है कि देश के लिए। दरअसल, खेल के क्षेत्र के जाने का मेरा कोई सपना नहीं था, मगर मेरे हुनर को तराशने वाले अर्जुन अवाॅर्डी अमित सिरोहा हैं। एक खबर पढ़ने के बाद उन्होंने मुझे खोजा और पैरा एथलीट बनाने के लिए प्रेरित किया। आज मैं जो कुछ हूं इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान है। कुछ समय की प्रैक्टिस और अब उसके परिणाम आने शुरू हो गए हैं।

एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

बात 16 साल पहले की है। एकता सोनीपत के राई स्कूल में कार्यरत अपनी मामी के पास गई थी। वहां से दिल्ली मेडिकल की कोचिंग लेने के लिए पांच अन्य सहेलियों के साथ वैन में जा रही थी। रास्ते में वैन का टायर पंक्चर हो गया। जब चालक वैन का टायर बदल रहा था तो वहां से गुजर रहे एक ट्रक वैन पर पलट गया, जिससे मौके पर ही वैन में सवार चार लड़कियों की मौत हो गई, मगर एकता एक अन्य लड़की गंभीर रूप से घायल हो गई। एकता का नौ माह तक दिल्ली स्पाइनल इंजरी सेंटर में उपचार चला लेकिन उसने अपना हौसला नहीं खोया और उसके बाद व्हील चेयर के माध्यम से चलना शुरू कर दिया।

एकता की उपलब्धियां

- टोक्‍यो पैरालंपिक में भाग लिया, भले ही वे पदक न जीत सकी

- 9 अक्‍टूबर 2018 को जर्काता एशियन पैरा गेम्‍स गोल्‍ड मेडल

- 2018 में पैरा ओलिंपिक कमेटी ऑफ इंडिया ने पंचकूला में आयोजित 18वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एकता भ्याण ने दो गोल्ड मेडल जीते

- जुलाई 2018 में एकता भ्याण ने ट्यूनीशिया में पैरा एथलेक्टिस में जीता गोल्ड व ब्रॉन्ज मेडल

- पहले बर्लिन में तीसरी पैरा इंटरनेशनल ग्रांड प्रिक्स में सिल्वर मेडल।

-फाजा इंटरनेशनल ओपन चैंपियनशिप दुबई में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चौथी रैंक।

-चंडीगढ़ में आयोजित पैरा एथलेटिक खेलों में 400 ग्राम क्लब थ्रो खेल में जीत दर्ज की।

-जर्मनी में आयोजित चैंपियनशिप में 400 ग्राम क्लब थ्रो में रजत पदक प्राप्त किया।

- वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में छठी और एशिया में फर्स्ट रैंक हासिल की है।

- 11 से 24 जुलाई तक लंदन में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो और क्लब थ्रो में शानदार प्रदर्शन किया।

- डिस्कस थ्रो में उनका बेस्ट 16.63 मीटर की थ्रो का रहा है।


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