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World AIDS Day: सिरसा में एड्स नियंत्रण कर्मचारियों ने विश्व एड्स दिवस को काले दिवस के रूप में मनाया

कोरोना काल के समय में भी जब पूरा विश्व इस भयंकर महामारी से जूझ रहा था तब स्वास्थ्य विभाग का अह्म हिस्सा होते हुए विभाग के कर्मचारियों ने भी कोरोना पीडि़त मरीजों को काउंसलिंग देकर डर से उबारा था। लैब टैक्नीशियन ने कोरोना जांच में दिन-रात ड्यूटी की थी।

By Naveen DalalEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 01:23 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 01:23 PM (IST)
सिरसा के नागरिक अस्पताल में धरना देते ऐड्स कंट्रोल एंप्लाइज एसोसिएशन के सदस्य।

सिरसा, जागरण संवाददाता। सिरसा में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण यूनियन के आह्वान पर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन से जुड़े कर्मचारियों ने नेको द्वारा समय पर पे रिवाइज न करने के विरोध में देशभर में पहली बार विश्व एड्स दिवस को काले दिवस के रूप में मनाया। इसी कड़ी में सिरसा में एड्स नियंत्रण विभाग से जुड़े कर्मचारियों ने अपने-अपने ड्यूटी स्थल पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।

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जिला इकाई के पदाधिकारियों आईसीटीसी काऊंसलर कमल कुमार, पवन कुमार, एलटी मनोज कुमार, ओएसटी काऊंसलर प्रेम कुमारी, एसटीआई विभाग से शर्मिला व एफआईएआरटी से सुरेंद्र कौर ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान में हरियाणा प्रदेश में 117 आईसीटीसी सेंटर, 11 एआरटी सेंटर, 5 एफआईएआरटी सेंटर, 4 एलएसी सेंटर, 32 एसटीआई क्लीनिक, 9 ओएसटी सेंटर्स हैं, जोकि हेल्थ डिपार्टमेंट का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

25 नवंबर से ही विरोध का बिगुल बजा

हरियाणा प्रदेश में 35000 के लगभग एचआईवी पीडि़त मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिनकी साइकोलोजिकल काउंसलिंग, दवाईयां तथा समय समय पर जांच  अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि नैको द्वारा 2017 में एनएसीपी 5 लागू करना था, परन्तु 2021 बीतने को है और अभी तक इस ओर कोई गौर नहीं किया गया है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि 1 दिसम्बर 2017 में फेज चेंज होगा, सैलरी बढ़ेगी, परन्तु 5 साल से इंतजार कर रहे कर्मचारियों का सब्र का बांध आखिरकार टूट गया और 25 नवंबर से ही विरोध का बिगुल बज उठा। जोकि लगातार जारी है।

कर्मचारी पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ सालों में महंगाई इस कद्र बढ़ी है कि विभाग की ओर से दिए जा रहे वेतनमान से घर चलाना तो दूर की बात है, कर्मचारी स्वयं का खर्चा भी नहीं उठा पा रहे हैं। सरकार ने इस वर्ष की थीम असामनता को समाप्त करें, एड्स का अंत करें तो तय कर दी है, लेकिन कर्मचारियों के साथ असमानता का बर्ताव किया जा रहा है। कर्मचारियों की विभाग से मांग है कि जब सभी कर्मचारियों का वेतनमान बढ़ाया जा चुका है तो उनके साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों?

समाज तथा युवाओं को किया जाता है जागरूक:

आईसीटीसी सेंटर में सभी गर्भवती महिलाओं, टीबी मरीज, एसटीआई मरीज, सभी सर्जरी केस तथा हाई रिस्क  गु्रप जैसे वर्कर, एमएसएम की काउंसलिंग तथा टेस्टिंग की जाती है। इसके अलावा समय-समय पर कैम्प लगाकर लोगों को जागरुक करने का कार्य किया जाता है। हरियाणा के सभी कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान, आई टी आई, पॉलीटेक्निक आदि में युवाओं को इस गम्भीर बीमारी के विषय में जागरूक किया जाता रहा है।

कोरोना काल में निभाई महत्ती भूमिका:

कोरोना काल के समय में भी जब पूरा विश्व इस भयंकर महामारी से जूझ रहा था, तब स्वास्थ्य विभाग का अह्म हिस्सा होते हुए विभाग के कर्मचारियों ने भी कोरोना पीडि़त मरीजों को काउंसलिंग देकर डर से उबारा था। लैब टैक्नीशियन ने कोरोना जांच में दिन-रात ड्यूटी की थी। लॉकडाउन में शेल्टर होम्स में रह रहे शरणार्थियों को मानसिक सांत्वना देने का कार्य भी इन कर्मचारियों ने बखूबी किया था। कोरोना पॉजीटिव मरीजों की काउंसलिंग न केवल आइसोलेशन वार्ड में की गई, बल्कि घर-घर जाकर भी उनको मानसिक सहायता प्रदान की गई थी। इतना कुछ करने के बाद भी कर्मचारियों के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, जोकि बर्दाश्त योग्य नहीं है। हरियाणा सरकार ने केवल एनएचएम विभाग के कर्मचारियों को ही कोरोना योद्धा मान कर 5000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दे दी, लेकिन इस विभाग के कर्मचारियों की ओर उदासीन रवैया ही बनाए रखा।


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