धुंआ रहित चूल्हा प्रयोग कर महिलाओं को नहीं होगी सांस की बीमारी
जागरण संवाददाता हिसार ग्रामीण अंचल में महिलाओं की जिदगी चुनौतियों से भरी हुई है। कई
जागरण संवाददाता, हिसार :
ग्रामीण अंचल में महिलाओं की जिदगी चुनौतियों से भरी हुई है। कई महिलाएं को रोजना चूल्हे पर खाना बनाती हैं, जिसके कारण उन्हें सांस की बीमारी होने की हरदम संभावना बनी रहती है। ऐसी महिलाओं के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की महिला विज्ञानियों ने धुंआ रहित चूल्हा तैयार किया है। इस चूल्हे में धुंआ नहीं उठता है, जिसके कारण महिलाओं को प्रदूषण से मुक्ति मिलती है। यह नहीं बल्कि कपास चुगाई के लिए कपड़े का बैग, विकसित दरांती, सिर व चेहरे पर कैपरोन जैसे आविष्कार महिलाओं की जिदगी को आसान बना रहे हैं। ऐसे में इन उपकरणों का प्रयोग करने के लिए एचएयू की महिला विज्ञानी गांव-गांव जाकर उन्हें प्रशिक्षित कर रही हैं। मंगलवार को एचएयू के इंदिरा चक्रवर्ती गृह विज्ञान महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत एक ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की गई। जिसमें महिलाओं के उत्थान में युवाओं की भूमिका पर मंथन किया गया।
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10 गांवों की महिलाओं ने लिया भाग
कार्यक्रम अधिकारी डा. पारूल गिल ने बताया कि कार्यशाला में गृह विज्ञान महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्राओं एवं करीब 10 गांवों की किसान महिलाओं ने भाग लिया। कार्यशाला सह-आयोजक नोडल अधिकारी डा. वीनू सांगवान ने ग्रामीण महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण एवं उसमें उपयोग होने वाले उपकरणों के बारे में जानकारी दी ताकि कृषक महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने में मदद की जा सकती है। डॉ. वीनू सांगवान ने छात्राओं के माध्यम से ये समझाने की कोशिश की कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपनी लोकल फसलों के लिए ज्यादा वोकल होना होगा। इसके लिए अपने आस-पास उपलब्ध व अपने खेतों में उगाई जाने वाली ताजा फल-सब्जियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अधिष्ठाता डा. बिमला ढांडा एवं छात्र कल्याण निदेशक डा. देवेंद्र सिंह दहिया ने पूरी टीम की सराहना की।