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महिला आयोग सदस्या बोलीं, कालिख पोतने के प्रकरण में पहली गलती पुलिस की फिर शिक्षा विभाग की

होमवर्क नहीं करने पर बच्‍चों के मुंह पर कालिख पोतकर स्कूल में घुमाने का मामले में बच्ची के पिता की शिकायत पर एफआइआर न दर्ज करने वाले पुलिस कर्मी को लाइन हाजिर करने की सिफारिश

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:02 AM (IST)
महिला आयोग सदस्या बोलीं, कालिख पोतने के प्रकरण में पहली गलती पुलिस की फिर शिक्षा विभाग की
महिला आयोग सदस्या बोलीं, कालिख पोतने के प्रकरण में पहली गलती पुलिस की फिर शिक्षा विभाग की

हिसार, जेएनएन। हिसार के बड़वाली ढाणी स्थित निजी स्कूल में विद्यार्थियों के मुंह पर कालिख पोतकर स्कूल में घुमाने के मामले में सोमवार को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में राज्य महिला आयोग की सदस्या सुमन बेदी ने पुलिस, शिक्षा विभाग और पीडि़त परिवार से पूछताछ की। इसमें उन्होंने सभी पक्षों को सुनने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अगर वह मामला संज्ञान में आते ही जांच कर कार्रवाई करते तो इतने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होता।

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वहीं पुलिस अगर बच्ची के पिता की शिकायत पर ही तत्काल एफआइआर दर्ज करती तब भी पीडि़तों को संतुष्टि मिल जाती, मगर इस प्रकरण में प्राथमिक स्तर पर लापरवाही वाला रवैया अपनाया गया। यही कारण है कि मीडिया के जरिये जब महिला आयोग को मामले की जानकारी हुई तो खुद ही नोटिस जारी कर पुलिस प्रशासन से मामले में रिपोर्ट तलब की गई। ऐसे में सभी पक्षों को सुनने के बाद सदस्या सुमन बेदी ने एफआइआर न दर्ज करने पर पुलिस कर्मचारी को लाइन हाजिर करने की सिफारिश की है तो डीईओ नीता अग्रवाल को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे अवैध स्कूलों को खोजकर तत्काल कार्रवाई करें। इसके साथ ही पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी आयोग ने तलब की है। 

समझिये... पूरे मामले में कहां-कहां पीडि़तों के साथ हुई लापरवाही और पुलिस कैसे बनी पंचायती

एफआइआर दर्ज करने में देरी

पीडि़त बच्ची ने अपनी व्यथा सदस्या को बताई। इसके बाद बच्ची के पिता ने बताया कि उन्हें जैसे ही इस प्रकरण के बारे में पता चला, वह पुलिस स्टेशन गए। जहां उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस कर्मचारी को समस्या बताई। इसके बाद एसएचओ की तरफ से एक पुलिस कर्मचारी की ड्यूटी भी इस मामले में लगाई गई। मगर डेढ़ दिन बीतने के बावजूद पुलिस कर्मचारी ने एफआइआर ही दर्ज नहीं की। उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने मदद नहीं की, तब मीडिया को बुलाकर सिस्टम को एक्सपोज किया। 

पंचायती बन गई पुलिस

महिला आयोग की सदस्या ने बताया कि अगर इस मामले में आयोग जवाब तलब न करता और पुलिस की तरफ से डीएसपी द्वारा तत्काल संज्ञान न लिया जाता तो पीडि़तों को अभी तक न्याय मिलना मुश्किल होता। क्योंकि पीडि़तों को थाने बुलाकर स्थानीय स्तर पर पुलिस दोनों पक्षों को बैठाकर समझौता कराने की मंशा में दिख रही थी। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को कड़े संदेश में कहा कि वह अदालत का काम न करें और पंचायती भी न बनें, यह काम जिनका है, उन्हें ही करने दें।

शिक्षा विभाग ने ऐसे की लापरवाही

सदस्या बेदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के पास जब शिकायत आ गई थी तो उन्हें मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल एक जांच कमेटी बनाकर जांच करानी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं किया गया। इस पर डीईओ ने कहा कि वह स्कूल को नोटिस दे सकते थे, मगर कार्रवाई करने का उन्हें अधिकार नहीं है। सदस्या ने कहा कि आप प्रशासन के संज्ञान में लाते, अगर प्रशासन भी कुछ नहीं करता तो महिला आयोग को बताते। उन्होंने निर्देश दिए कि आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही ऐसे अवैध स्कूलों को खोजकर उनपर कार्रवाई की जाए।

पीडि़तों ने यह बताया दर्द

पीडि़त अभिभावकों ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल के बेटे ने भी उन्हें स्कूल में इस मामले के बारे में पूछने पर धमकाया था। इसके साथ ही पीडि़त पिता ने बताया कि पुलिस ने स्कूल से उनके कहने पर वीडियो भी नहीं ली न ही उन्हें दिखाई। इस पर डीएसपी ने कहा कि डीवीआर ले ली गई है, मगर स्कूल प्रशासन वीडियो डिलीट भी कर देगा तो वह रिकवर हो जाती है। इसके साथ ही अब स्कूल प्रशासन बच्चों के घर-घर जाकर उन पर दबाव बना रहा है कि वह कहें कि उन्हें इसी स्कूल में पढऩा है। इसके साथ ही एक प्राइवेट स्कूल अभी भी आठ दिनों से एक बच्चे के कक्षा छह में दाखिले के लिए डीईओ के आर्डर मांग रहा है। इस पर अभिभावक को डीईओ ने कहा है कि वह स्कूल का नाम बता दें दाखिला हो जाएगा। इसके साथ ही एक अभिभावक ने आयोग की सदस्या को सुशीला भवन के पास गल्र्स स्कूल में बच्चियों से सफाई कराने की बात भी कही।

सदस्या ने यह भी सुने मामले

समन देने गए एसपीओ से मारपीट

आर्यनगर में समन देने गए एक एसपीओ के साथ समन लेने वाले ने ही मारपीट कर दी। वहीं दूसरे पक्ष ने भी एसपीओ पर शराब के नशे में घर पर बदसलूकी का आरोप लगाया। दोनों मामलों को सुनने के बाद सदस्या ने पुलिस को सही तरीके से जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

बिठमड़ा में दहेज हत्या का प्रकरण

बिठमड़ा निवासी राजबीर ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी सोनम की उसके ससुराल जनों से दहेज के लिए हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस दूसरे पक्ष के साथ खड़ी हो गई है। उन्होंने सदस्या के सामने नौ गांव की पंचायत के पदाधिकारी और साक्ष्य प्रस्तुत कर पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए। ऐसा तब हुआ जब पीडि़त खुद एक पुलिस अफसर है। इस मामले की जांच डीजीपी के यहां के पुलिस के बड़े अधिकारी को दे दी गई है।


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