हिसार में साल-दर-साल बढ़ते जा रहे शराब के तलबगार, अंग्रेजी ब्रांड के ज्यादा शौकीन
शराब के शौकीनों का विदेशी और अंग्रेजी ब्रांड की ओर बढ़ा रुझान खपत बढ़ी और स्वदेशी शराब की घटी। 1 साल में गटक गए 13 करोड़ प्रूफ लीटर शराब बीते साल बढ़ गए शराब के तलबगार
हांसी (हिसार) [मनप्रीत सिंह] कहते हैं कि पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। महंगाई के इस दौर में भी शराब के शौकीन लोग इस कहावत को चरितार्थ करते हुए जमकर जाम छलका रहे हैं। बीते साल जिलावासी 13 करोड़ प्रूफ लीटर से अधिक मदिरापान कर गए। औसतन प्रति महीने बात करे तो जिलावासी करीब एक करोड़ लीटर शराब गटक जाते हैं। खास बात ये है कि विदेशी ब्रांड मदिरा की खपत में दोगुना इजाफा हुआ है।
प्रदेश सरकार भी मदिरा के तलबगारों की तलब का पूरा फायदा उठाते हुए बीते कुछ सालों से शराब पर बेतहाशा टैक्स लगाकर अपना खजाना भर रही है। आंकड़े बताते हैं कि पीने वालों पर महंगी होती शराब का कोई असर नहीं है। सबसे खास बात ये है कि पीने वालों को भारत में निर्मित शराब की अपेक्षा अत्याधिक महंगे दामों पर मिलने वाली विदेशी मदिरा का नशा अधिक पसंद आ रहा है।
यही कारण है कि पिछले साल भारत में निर्मित शराब की खपत जिले में घटी है और विदेशी शराब की खपत दोगुनी हुई है। इसके अलावा बियर और वाइन की खपत भी 10 लाख बल्क लीटर बढ़ गई। आंकड़ों से साफ है कि जाम झलकाने वालों पर शराब के महंगी होने का कोई ज्यादा असर नहीं है। शराब की बिक्री बढऩे से सरकार को राजस्व के रूप में बेशक फायदा हो रहा है लेकिन सामाजिक पहलू पर इसके काफी नुकसान भी हैं।
लोगों का विदेशी शराब की ओर बढ़ा रुझान
भारत में बनी शराब की खपत में कमी आई है व विदेशी ब्रांड की मदिरा की खपत कई गुना बढ़ गई है। बीते साल स्वदेशी शराब जहां आठ फीसद घट गई। वहीं, विदेशी ब्रांडेड शराब की खपत 49 फीसद बढ़ गई। आंकड़े से साफ है कि लोगों को इम्पोर्टेट शराब अधिक पसंद आ रही है।
----------------
हिसार जिले में वर्ष 2019-20 के दौरान 66 जोन में 132 शराब के ठेकों को लाइसेंस दिया गया है।
------------------
2 सालों में गटक गए करोड़ों लीटर शराब (आंकड़े प्रूफ लीटर में)
2017-18 2017-18 खपत में अंतर
स्वदेशी शराब - 76,37,000 70,39,174 8 फीसद घटी
अंग्रेजी शराब - 15,50,000 29,08,742 49 फीसद बढ़ी
वाइन एंड बियर - 25,33,000 36,22,393 30 फीसद बढ़ी
(स्त्रोत - आर्थिक एवं सांख्यिकीय विश्लेषण विभाग।