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एलर्जी हुई तो खुद ही घर में खाली प्लाट में महिला उगाने लगीं सब्जियां, लॉकडाउन में मिल रहा फायदा

शिक्षिका निशा कहती हैं कि जीरा उगाने लायक यहां मौसम नहीं। फिर भी अपने घर में जीरा उगाया। हल्दी सौंफ अदरक प्याज लहसुन से लेकर केले पालक मिर्च अंगूर लौकी तोरई ही नहीं तमाम फल-सब्जियां आदि घर में ही उगा रहीं हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 05:51 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 05:51 PM (IST)
एलर्जी हुई तो खुद ही घर में खाली प्लाट में महिला उगाने लगीं सब्जियां, लॉकडाउन में मिल रहा फायदा
रोहतक में शिक्षिका निशा किचेन वेस्ट से उगा रहीं है सब्जियां

रोहतक, जेएनएन। लॉकडाउन में घर पर बोर हो रहे हैं और खाली जगह उपलब्‍ध है तो घर पर रहकर सब्जियां उगा सकते हैं। किचनवेस्ट से फल, सब्जियां बेहतर तरीके से उगाई जा सकती हैं। रोहतक की शिवाजी काॅलोनी शिक्षिका निशा ने अपने घर पर ही हरी सब्जियों से लेकर फल तक उगाए हैं। हालांकि कुछ वर्षों से निशा यह कार्य कर रही हैं। अभी तक सैकड़ों बच्चों को भी प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं।

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शिक्षिका निशा ने बताया कि उन्हें पैकेज्ड फूड से एलर्जी हो गई थी। हालांकि उन्हें यह सब छह साल पहले तक पता नहीं था। काफी इलाज कराया, लेकिन भोजन करने के बाद शरीर में बनने वाले दाने खत्म नहीं होते। दिल्ली के एक नामी अस्पताल के चिकित्सकों ने सुझाव दिया कि बाहरी भोजन और पैकेज्ड भोजन खाना बंद करें। इन्होंने चिकित्सकों की सलाह पर खुद के लायक घर के खाली प्लाट में कुछ सब्जियां उगाना शुरू किया। घर में कुछ सब्जियों का स्वाद स्वजनों को बेहतर लगा तो बड़े पैमाने पर भी सब्जियां उगाने लगीं। झज्जर, सोनीपत, बहादुरगढ़ आदि क्षेत्रों के स्कूलों में सैकड़ों बच्चों को भी किचेन वेस्ट से सब्जियां उगाना सिखा चुकी हैं।

जीरा, अंगूर, केले, सब्जियां तक घर में उगाईं

शिक्षिका निशा कहती हैं कि जीरा उगाने लायक यहां मौसम नहीं। फिर भी अपने घर में जीरा उगाया। हल्दी, सौंफ, अदरक, प्याज, लहसुन से लेकर केले, पालक, मिर्च, अंगूर, लौकी, तोरई ही नहीं तमाम फल-सब्जियां आदि घर में ही उगा रहीं हैं। खाली प्लाट के साथ ही बर्तनों जैसे बाल्टी, टायर व दूसरे स्थानों पर फल सब्जियां उगाती हैं।

इस तरह से करती हैं कार्य

इन्होंने बताया कि रसोई से निकलने वाली बासी सब्जियां, फलों-सब्जियों के छिलके इकट्ठे करती हैं। इसी तरह चाय की बची पत्ती को पानी में धोती हैं। इन सभी का मिश्रण को एक पात्र में इकट्ठा करती हैं। फिर डेढ़ से दो फीट गहरे गड्ढे में किचन से निकलने वाले सभी सामान को गड्ढे में डाल देती हैं। करीब 21 दिन बाद जमीन में यह सभी किचेन वेस्ट खाद बन जाते हैं। फिर उन स्थानों पर फल, सब्जियां व अन्य सामग्री उगाने के लिए कार्य करती हैं।


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