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पुण्यतिथि विशेषः ऐसे थे मोहम्मद रफी साहब... जब बगैर गिने सुनील कौशिक को दोनों हाथों में भरकर थमा दिए थे डालर

मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि 31 जुलाई को हैं। रोहतक के गिटारिस्ट सुनील कौशिक ने उनसे जुड़ा किस्सा साझा किया। लॉस एंजलिस में रफी साहब ने उन्हें दोनों हाथों से डॉलर थमा दिए। बोले जब अल्लाह ताला मुझे गिनकर नहीं देता तो मैं क्यों गिनूं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 08:04 AM (IST)
पुण्यतिथि विशेषः ऐसे थे मोहम्मद रफी साहब... जब बगैर गिने सुनील कौशिक को दोनों हाथों में भरकर थमा दिए थे डालर
गिटारिस्ट सुनील कौशिक 1976 में लांस एंजलिस टूर पर संगीतकार मोहम्मद रफी के साथ।

अरुण शर्मा, रोहतक। मोहम्मद रफी के गीतों के ही नहीं, उनसे जुड़े लोग उनकी दरियादिली के भी कायल हैं। कई किस्से आज भी लोगों की जुबां पर आ जाते हैं। एक ऐसा ही किस्सा संगीतकार जेपी कौशिक(स्वर्गीय) के बेटे गिटारिस्ट सुनील कौशिक ने साझा किया है। 1979 में कई देशों के टूर के बाद अमेरिका के लांस एंजलिस में शो के लिए चार दिन के प्रवास पर थे। सुनील होटल से बाहर निकलकर बाजार में पहुंचे। इसी दौरान उन्हें एक म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट एंप्लीफायर बेहद पसंद आया। पैसे नहीं थे तो उन्होंने मोहम्मद रफी से मदद मांगी। जब सुनील उनसे पैसे लेने के लिए होटल के कमरे में पहुंचे तो रफी साहब ने दोनों हाथों में भरकर बगैर गिने ही नोट (डालर) थमा दिए। रफी साहब के सेक्रेटरी जहीर ने उन्हें टोका। इस पर मोहम्मद रफी ने जवाब दिया कि जब अल्लाह मुझे गिनकर दौलत नहीं दे रहा तो मैं क्यों गिनूं।

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गिटारिस्ट सुनील कौशिक मोहम्मद रफी से जुड़े रोचक किस्से साझा करते हुए।

रोहतक के पहरावर गांव के निवासी संगीतकार जेपी कौशिक वर्षों पहले मुंबई में जा बसे थे। मोहम्मद रफी के साथ पिता जेपी व बेटे सुनील ने कई फिल्मों में काम किया। जाने-माने गिटारिस्ट सुनील ने बताया कि लंदन, कनाडा व दूसरे देशों से शो करके लांस एंजलिस में पहुंचे। सुनील बताते हैं कि पिछले चार शो का उनका मानदेय रुका था। इसलिए विचार आया कि रफी साहब की मदद ली जाए। उस वक्त सभी रफी साहब से सीधे बात करने के बजाय पहले उनके सेक्रेटरी जहीर से बात करते थे।

सेक्रेटरी के बजया रफी साहब को लग गया फोन

सुनील कौशिक बताते हैं कि होटल के कमरे में वापस लौटकर जहीर को फोन लगाया। गलती से फोन सीधे रफी साहब के कमरे का लग गया। फोन रिसीव करते ही पूछा बेटा क्या हाल हैं सब ठीक हैं। एक बार तो मन किया कि फोन काट दूं, लेकिन दूसरे ही पल विचार आया कि जब फोन लग ही गया है तो बात कर लेता हूं। जब उन्हें पूरी बात बताई तो होटल स्थित अपने कमरे में बुलाया। सुनील कहते हैं कि मोहम्मद रफी के साथ उनकी पत्नी बिलकिस भी बैठी हुईं थीं। उन्होंने पहले तो सुनील से हाल-चाल जाना। फिर पत्नी बिलकिस को अंदर से ब्रीफकेस लाने को कहा। पत्नी ब्रीफकेस लेकर आईं और उसमें  से नोट निकालकर रफी साहब ने सुनील को दिए।

एक ही टेबल पर बैठकर एक जैसा भोजन करते साथ

सुनील के मुताबिक, बेंगलुरू, कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद आदि शहरों में बड़े शो किए। मोहम्मद रफी को उस वक्त भी सब रफी साहब बोलते थे और उनकी पत्नी बिलकिस को आपा। वह छोटे-बड़े का कभी फर्क नहीं समझते थे। मोहम्मद रफी और दूसरे कलाकार, सभी एक ही होटल में ठहरते। जो भोजन रफी साहब के लिए बनता, वही सभी दूसरे कलाकार उनके साथ एक ही टेबल पर बैठकर करते। इनके साथ ही रफी साहब कभी किसी भी गुस्सा होने की छोड़िए, ऊंची आवाज में भी बात नहीं करते थे।

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