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जल संरक्षण : रोहतक के डा. रविंद्र नांदल की पानी बचाने को लेकर जिद ऐसी, 83 हजार को दिलाई शपथ

जल संरक्षण को लेकर चलाई जा रही अपनी मुहिम को लेकर डा. नांदल इतने गंभीर है कि सप्ताह में तीन से चार दिन वह ग्रामीण एरिया में जाकर गांव के लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित करते हैं।

By Naveen DalalEdited By: Published: Tue, 04 Jan 2022 06:19 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jan 2022 06:19 PM (IST)
जल संरक्षण : रोहतक के डा. रविंद्र नांदल की पानी बचाने को लेकर जिद ऐसी, 83 हजार को दिलाई शपथ
रोहतक के रिटायर कृषि अधिकारी डा. रविंद्र नांदल चला रहे हैं मुहिम।

विनीत तोमर, रोहतक। पानी की बूंद-बूंद को नहीं बचाया गया तो 2070 में पानी की सुरक्षा को लेकर फोर्स लगानी पड़ेगी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के विजन-2070 से प्रभावित होकर रोहतक के सेक्टर-14 निवासी पूर्व कृषि अधिकारी डा. रविंद्र सिंह नांदल ने पानी बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी। वर्ष 2013 में रिटायरमेंट के बाद से लेकर अब तक स्कूल-कालेजों में जाकर करीब 83 हजार विद्यार्थियों को शपथ दिला चुके हैं। 

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पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम केे विजन 2070 से प्रभावित होकर शुरू की थी मुहिम

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अधिकतर स्थानों पर टूटियों से बहने वाले पानी को रोकने के लिए विद्यार्थियों को फ्री की टूटियां बनानी सीखा दी। उन्हें बताया जाता है कि पानी की खाली बोतल लेकर उसका टूटी की तरह इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। जिसे टूटी पर लगाकर पानी को व्यर्थ बहने से रोक सकते हैं। वह विद्यार्थियों को इसका डेमो भी दिखाते हैं। जिससे कोई भी इसका प्रयोग कर सके। डा. नांदल का मानना है कि यदि युवा पीढ़ी पानी बचाने के लिए जागरूक हो गई तो उनकी मुहिम असरदार साबित हो जाएगी। क्योंकि घर में एक युवा के जागरूक होने का मतलब है कि कम से कम परिवार के पांच सदस्य भी जागरूक हो जाएंगे। इसके बाद जल संरक्षण खुद ब खुद होना शुरू हो जाएगा।

ड्यूटी के दौरान किसानों को देते थे हिदायत, मत करो पानी बर्बाद

ड्यूटी के दौरान डा. नांदल का अधिकतर समय महेंद्रगढ़ जिले व उसके आसपास में बीता। जहां के किसान फसलों में अधिक पानी का इस्तेमाल करते हैं। वर्ष 1995 से लेकर 2013 तक उन्होंने ड्यूटी के दौरान वहां के किसानों को जागरूक किया। पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी के संरक्षण के लिए ग्रामीणों की मदद से जलाशय तैयार कराए गए। साथ ही छोटे बांध भी बनाए गए। इसके अलावा छतों का पानी स्टोरेज करने के लिए भी अभियान चलाया गया, जो काफी कारगर भी रहा।

गांवों की चौपाल पर जाकर भी देते हैं संदेश

जल संरक्षण को लेकर चलाई जा रही अपनी मुहिम को लेकर डा. नांदल इतने गंभीर है कि सप्ताह में तीन से चार दिन वह ग्रामीण एरिया में जाकर गांव के लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित करते हैं। डा. नांदल का कहना है कि फिलहाल सबसे अधिक पानी की बर्बादी गांवों में हो रही है। हर घर में सबमर्सिबल लगे हुए हैं। यदि पांच लीटर पानी का इस्तेमाल करना हो तो सबमर्सिबल से 10 लीटर से अधिक पानी व्यर्थ बह जाता है। उसी पानी को यदि हम हैंडपंप से भरे तो बर्बाद नहीं होगा।

पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम का विजन आगे बढ़ाना ही मेरा मकसद : डा. नांदल

डा. नांदल के परिवार में उनकी पत्नी सुशीला और दो बेटियां है। दोनों ही बेटियां फिलहाल अच्छे पदों पर नौकरी कर रही है। डा. नांदल का कहना है कि वह अपनी मुहिम के माध्यम से पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम के विजन को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका मकसद है कि समय रहते पानी की बर्बादी को रोका जाए, अन्यथा आने वाले समय में पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे।


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