उन्नत किस्मों के विकास के साथ जल संरक्षण एवं खरपतवार प्रबंधन समय की मांग : प्रोफेसर काम्बोज
जागरण संवाददाता हिसार वर्तमान समय की भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में
जागरण संवाददाता, हिसार : वर्तमान समय की भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक जल संरक्षण और खरपतवार प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। साथ ही विभिन्न फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान हितैषी आधुनिक तकनीकों का विकास करें। ये बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कही। वे विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के दलहन अनुभाग के अनुसंधान क्षेत्र का दौरा करने के उपरांत वैज्ञानिकों से रूबरू हो रहे थे। इस दौरान उन्होंने बसंत एवं ग्रीष्मकालीन मूंग की विभिन्न किस्मों के प्रयोगों का भी अवलोकन किया। कुलपति ने मुंग की उन्नत किस्मों को विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और मिट्टी की समस्याओं से निपटने के लिए मूंगबीन प्रजनन कार्यक्रम को और बढ़ाने के लिए जर्मप्लाज्म में विभिन्न प्रकार के जीनोटाइप का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने बेहतर उत्पादन के लिए अंत:विषय ²ष्टिकोण को प्रभावी ढंग से अपनाने पर भी जोर दिया और टीम को खरपतवार प्रबंधन, कीट नियंत्रण और जल बचत की आधुनिक तकनीकों के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे फील्ड में किसानों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान व उनकी आय में बढ़ोतरी को ध्यान में रखकर शोध कार्यों को आगे बढ़ाएं। भारत के सर्वश्रेष्ठ मूंग-प्रजनन केंद्र का मिल चुका है अवार्ड कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय में भारत के मूंग-प्रजनन के प्रमुख केंद्रों में से एक केंद्र है, जिसे मूंग की उच्च उपज देने वाली किस्मों के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार मिल चुका है। यह भारत के माननीय उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा प्रदान किया गया। वैज्ञानिकों ने अब तक अपने अथक प्रयासों से दलहनी फसलों की 33 किस्मों का विकास किया है। इन किस्मों में विभिन्न मौसम के अनुसार खेती के लिए मूंग की छह उच्च उपज देने वाली रोग प्रतिरोधी किस्में आशा, मुस्कान, सत्य, बसंती, एमएच 421 और एमएच 318 शामिल हैं।