शहीद हवा सिंह के घर पहुंची विजय ज्योति तो ग्रामवासी बोले धन्य हुआ गांव मिर्जापुर
जागरण संवाददाता हिसार वर्ष 1970 में इंडो-पाक युद्ध के दौरान शहीद सैनिकों के परिवारों
जागरण संवाददाता, हिसार :
वर्ष 1970 में इंडो-पाक युद्ध के दौरान शहीद सैनिकों के परिवारों का सेना घर जाकर सम्मान कर रही है। इसी के तहत शनिवार को विजय ज्योति के साथ भारतीय सैनिक आदर्श कॉलोनी और मिर्जापुर में पहुंचे। मिर्जापुर में वीर चक्र विजेता सेकेंड लेफ्टिनेंट हवा सिंह के परिजनों व ग्रामवासियों को इस दौरान शहीद स्मारक पर बुलाया गया। शहीद के परिवार को विजय ज्योति सुपुर्द करते हुए सम्मानित किया गया। इस पल के गवाह बने ग्रामवासियों की आंखें भर आईं। इसके साथ ही आदर्श नगर में वीरचक्र विजेता शहीद मेजर कृष्ण सिंह की पत्नी बादामो देवी को सम्मानित किया। इस दौरान लोगों ने सेना के साहस, शौर्य का सराहना की। यह विजय ज्योति जब विभिन्न स्थानों से होती हुई निकली तो 15000 से अधिक भूतपूर्ण सैनिकों ने सम्मान किया। --------- शहीद की धूमिल हो चुकी यादों को ऐसे मिली थी पहचान इसका कारण यह भी था कि 1971 में शहीद हुए हवा सिंह की यादें पूर्व में गांव में लगभग धूमिल हो चुकी थीं। पीढि़यां आगे बढ़ती गईं और शहीद का नाम पीछे छूट गया था। ऐसे में कुछ समय पहले हिसार में तैनात रहे एनसीसी कमांडेंट कर्नल धर्मवीर नेहरा और शहीद के भतीजे अधिवक्ता कृष्ण कुमार चहल ने सैनिक के रिकार्ड निकलवाया। इसके साथ ही गांव की पंचायत के सहयोग से शहीद के नाम खेल स्टेडियम, गांव का मुख्य गेट और शहीद स्मारक भी स्थापित कराया। ऐसे में आधिकारिक रूप से जब विजय ज्योति पहुंची तो हर कोई खुश नजर आया। लोगों ने कहा कि यह सम्मान सर्वोपरि है। -------------- ऐसे शहीद हुए थे लेफ्टिनेंट हवा सिंह दरअसल वर्ष 1971 में भारत पाक के बीच युद्ध हुआ। लेफ्टिनेंट हवा सिंह गोरखा राइफल्स में शामिल थे। उनकी बटालियन को 21 नवंबर 1971 में पूर्वी क्षेत्र में दुश्मन के एक मोर्चे पर कब्जा करने का काम सौंपा गया। शत्रु ने इस मोर्चे पर अच्छी तरह से कब्जा करने के साथ मीडियम मशीन गनें भी तैनात की हुई थी। दोनों तरफ से गोलियां चलीं जिसमें हवा सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बावजूद उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पाकिस्तान के पांच बंकर उन्हीं के कब्जे वाले इलाके में जाकर तबाह कर दिया। जिसमें दुश्मन के कई सैनिक मारे गए।इस कारनामे को देखकर उनकी बटालियन के दूसरे सैनिकों में भी जोश आ गया। हालांकि बाद में अधिक घायल होने के कारण लेफ्टिनेंट हवा सिंह शहीद हो गए। इस कार्रवाई में शहीद ने अदम्य साहस, पहल शक्ति और ²ढ़ निश्चय का परिचय कराया।
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