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Vegetable Price Hike: महंगाई ने किया त्योहारों का रंग फीका, टमाटर का भाव 90 रुपये तक पहुंचा

ग्रामीण क्षेत्र में पिछले तीन माह से पेट्रोल डीजल व एलपीजी पहले ही महंगे हो गए हैं वहीं अब खाद्य पदार्थों के भाव भी बढ़ रहे हैं। क्षेत्र में एक रुपये से तीन रुपये में बिकने वाला प्याज 50 रुपये तो टमाटर आज 90 के पार पहुंच चुका है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 08:11 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 08:11 PM (IST)
Vegetable Price Hike: महंगाई ने किया त्योहारों का रंग फीका, टमाटर का भाव 90 रुपये तक पहुंचा
टमाटर का भाव पहुंचा 90 रुपये के पार।

पवन शर्मा, बाढड़ा(चरखी दादरी)। पेट्रोल मूल्य वृद्धि व खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ने के साथ ही अब दीपावली के आगमन पर महंगाई ने पैर पसार लिए हैं। गरीब आदमी के लिए टमाटर प्याज की चटनी खाना भी अब सपना होता जा रहा है। मौजूदा दौर में आमजन के खाने में सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाले टमाटर के भाव 90 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर होने से यह रसोई घर में कम ही नजर आ रहा है। पहले शहरों तक सीमित रहने वाली महंगाई ग्रामीण आंचल में पहुंच गई है जो मध्यम वर्ग के लिए काफी परेशानी बनी है।

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90 रुपये पहुंचा टमाटर का भाव

ग्रामीण क्षेत्र में पिछले तीन माह से पेट्रोल, डीजल व एलपीजी पहले ही महंगे हो गए हैं वहीं अब खाद्य पदार्थों के भाव भी बढ़ रहे हैं। क्षेत्र में एक रुपये से तीन रुपये में बिकने वाला प्याज 50 रुपये तो टमाटर आज 90 के भाव से ऊपर पहुंच चुका है। मौजूदा समय में महिलाएं विशेष कर खेतीबाड़ी पर निर्भर गृहणियों का रसोई चलाना मुश्किल हो गया है। दीपावली पर्व को लेकर भले ही आमजन में उमंग का माहौल हो लेकिन महंगाई की मार से सब बेचैन नजर आ रहे हैं। महिला रेखा देवी, अनिता, एकता देवी, ममता ने बताया कि एक तरफ तो सरकार महिलाओं की जीवनशैली में सुधार करने का दम भर रही है और उज्जवला के नाम पर एक बार भरे सिलेंडर देकर वाहवाही लूट रही है। लेकिन आज एलपीजी सिलेंडर भरवाने के भी लाले पड़ गए हैं। इसके अलावा सब्जी के भावों ने उनकी रसोई को चलाना मुश्किल कर दिया है। उन्होंने सरकार से बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने की मांग करते हुए एलपीजी, सब्जी व खाद्य तेलों के भावों में कमी करवाने की मांग की।

तीन रुपये प्रति किलो बिकता रहा टमाटर

बाढड़ा उपमंडल के दो दर्जन गांवों में सबसे अधिक टमाटर प्याज बोया जाता है। लेकिन समय सीजन के भाव बहुत ही न्यूनतम होते हैं। जिससे उनको टमाटर तीन रुपये प्रति किलोग्राम व प्याज चार रुपये प्रति किलोग्राम बेचना पड़ता है और कई बार तो किसान को खाद बीज की लागत की भी भरपाई नहीं होती। क्षेत्र के गांव रुदड़ौल, दगड़ौली, कान्हड़ा, माईकलां, नौरंगाबास, बडराई, हड़ौदी इत्यादि के किसानों ने बताया कि उनके खेतों में बोई गई सब्जियों के भाव बाजार में लगभग सौ गुणा अधिक देखकर बहुत दुख होता है। दूसरे प्रदेशों के पोली हाउसों में उत्पादित सब्जियां ऊंचे भाव पर बिक रही हैं। अगर उस समय उनकी सब्जियों को कहीं पर सुरक्षित रखा जाता तो आर्थिक लाभ मिलता। किसानों ने कहा कि उनके पास होने वाले उत्पाद उनको ही सौ रुपये में खरीदने पड़ रहे हैं। सरकार को विशेष नीति व योजनाएं बनाकर उनकी सब्जियों का भाव भी उचित देना चाहिए।

बाजार पर पड़ रहा बहुराष्ट्रीय कंपनियां का असर

किसान सभा अध्यक्ष प्रो. रघबीर श्योराण व प्रेरक एसोसिएशन प्रदेशाध्यक्ष मा. विनोद मांढी ने कहा कि मौजूदा समय में कारपोरेट के बाद अब आम बाजार पर भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव बढ़ रहा है। देश के कई राज्यों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से सब्सिडी लेकर अपने बड़े स्तर के पोली हाउस लगाकर अगले सीजन की सब्जियों का उत्पादन शुरू कर दिया है। सरकार से अनुदान पाने के बावजूद मनमर्जी के भाव पर अपने उत्पाद बेच कर आमजन की जेब को खाली कर रहे हैं।


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